फ़ॉलोअर

बुधवार, 20 दिसंबर 2017

वो आखरी खत ... नीतू ठाकुर



वो आखरी खत जो तुमने लिखा था
तेरे हर खत से कितना जुदा था


मजबूरियों का वास्ता देकर मुकर जाना तेरा
गुनहगार वो वक़्त था या खुदा था


बड़ी मुश्किल से समेटा था खुद को
वो पल भी मुश्किल बड़ा था


शिकायत करते भी तो किस से करते

जब अपना मुकद्दर ही जुदा था

जल रहे थे ख्वाब मिट रहे थे अरमान
तू लाचार और मेरा प्यार बेबस खडा था


मेरा दिल ही जनता है क्या गुजरी थी

जब आंसुओं में डूबा वो आखरी खत पढ़ा था
- नीतू ठाकुर

20 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह्ह प्रिय नीतू...लाज़वाब,भावपूर्ण अति सुंदर👌👌

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूबसूरत लिखा आपने...वो आखिरी खत भावनाओं से ओत-प्रोत अहसासो का पैमाना..!!

    जवाब देंहटाएं
  3. आखिरी ख़त के बहाने से अधूरे प्रेम की बहुत ही अनुपम और मर्मस्पर्शी गाथा लिख डाली आपने -- प्रिय नीतू जी | हर शेर बहुत ही हृदयस्पर्शी है | एक को ज्यादा महत्व दूंगी तो दूसरों की महिमा घट जायेगी | बहुत सराहनीय है आपकी भाव भरी रचना | सस्नेह --

    जवाब देंहटाएं
  4. जी नमस्ते,
    आप की रचना को शुक्रवार 22 दिसम्बर 2017 को लिंक की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही मर्मस्पर्शी भाव सिमटे है आपकी रचना‎ में .

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह! कमाल का शब्दशिल्प! मोहब्बत पर ऐसे मक़ाम आते हैं जब कशमकश से निकलकर आरज़ू अपनी रहगुज़र तय करती है।
    दिल की गहराइयों में उतरता शब्द-शब्द. नर्म एहसासों का नज़ाकतभरा मुज़ाहिरा करती बेहतरीन रचना। बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीया नीतू जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह ! खूबसूरत प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह!!नीतू जी वाह!!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  9. आखिरी खत.....
    बहुत ही बेहतरीन, बहुत सुन्दर
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं

14...बेताल पच्चीसी....चोर क्यों रोया

चोर क्यों रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?” अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक सा...