फ़ॉलोअर

सचिन अग्रवाल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सचिन अग्रवाल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 25 जनवरी 2018

अब जिया जाये बस जिया जाए.....सचिन अग्रवाल

और तो ख़ैर क्या कहा जाए 
बेसबब मुंह का ज़ायका जाए .

फिर उसे ढूंढने का क्या मतलब
कोई जब इस क़दर चला जाए .

तुम ही आ जाओ आशना मेरे
इससे पहले कि कोई आ जाए .

गीत ग़ज़लों से सफ़हे ज़ख़्मी हैं
अबके एक फूल को लिखा जाए .

तुम ज़मीं घर की बात करते हो
आदमी आदमी को खा जाए .

भूख है ,आजिज़ी है, सब्र भी है
और क्या कर्ज़ कर लिया जाए .

हाथ तो काट भी लिए लेकिन
इन लकीरों का क्या किया जाए .

तुम कहीं और ब्याह कर लोगी
एक तसव्वुर जो दिल हिला जाए .

अब ये उम्मीद ,आस दफ़्न करो
अब जिया जाये बस जिया जाए .

ख़्वाब जैसे उधेड़ दें सांसे
नींद जैसे गला दबा जाए .

आके मदमस्त फिर कोई जुगनू
रात की धज्जियां उड़ा जाए.

( क़तरा से .... )

- सचिन अग्रवाल

सोमवार, 8 जनवरी 2018

पत्थरों की नुमाइश...सचिन अग्रवाल

धूप का दम निकल गया
ये न समझो उजाला गया

पत्थरों की नुमाइश हुई
फूल क़दमों में डाला गया

शक़ तो खुद की वफ़ाओं पे था
और मिरा दिल ख़ँगाला गया

भूख को यूँ तसल्ली हुई
पत्तियों को उबाला गया

बच्चे जब चैन से सो गए
हलक़ से तब निवाला गया

चाहतों की गुज़ारिश भी थी
साँप भी घर में पाला गया

है पहाड़ों का सर भी वहीं
रास्ता भी निकाला गया
-सचिन अग्रवाल

14...बेताल पच्चीसी....चोर क्यों रोया

चोर क्यों रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?” अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक सा...