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गुरुवार, 26 अप्रैल 2018

मेरा अस्तित्व...कुसुम कोठारी


जग में मेरा अस्तित्व
तेरी पहचान है मां 
भगवान से पहले तू है
भगवान के बाद भी तू ही है मां
मेरे सारे अच्छे संस्कारों का
उद्गम  है तू मां
पर मेरी हर बुराई की
मै खुद दाई हूं मां
तूने तो सद्गुणों ही दिये
ओ मेरी मां
इस स्वार्थी संसार ने
सब स्वार्थ सीखा दिये मां।
ओ मेरी मां।
-कुसुम कोठरी।

शुक्रवार, 20 अप्रैल 2018

कदम रूकने से पहले...कुसुम कोठारी


कदम जब रुकने लगे तो
मन की बस आवाज सुन
गर तुझे बनाया विधाता ने
श्रेष्ठ कृति संसार मे तो
कुछ सृजन करने
होंगें तुझ को
विश्व उत्थान में, 
बन अभियंता करने होंगें
नव निर्माण
निज दायित्व को पहचान तूं
कैद है गर भोर उजली
हरो तम, बनो सूर्य
अपना तेज पहचानो
विघटन नही, 
जोडना है तेरा काम
हीरे को तलाशना हो तो
कोयले से परहेज
भला कैसे करोगे
आत्म ज्ञानी बनो
आत्म केन्द्रित नही
पर अस्तित्व को जानो
अनेकांत का विशाल
मार्ग पहचानो
जियो और जीने दो, 
मै ही सत्य हूं ये हठ है
हठ योग से मानवता का
विध्वंस निश्चित है
समता और संयम
दो सुंदर हथियार है
तेरे पास बस उपयोग कर
कदम रूकने से पहले
फिर चल पड़।
- कुसुम कोठारी

गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

डर.......सुधीर सिंह "सुधाकर"

अपनों से अब डर नहीं लगता
पड़ोसी फिर भी ज़रूर सताते हैं
बच्चों का डर सताता है
कहीं वह ख़ुद से दूर न कर दें 
पत्नी तो अब रहती है गुर्राती 
न जाने कौन से जन्म का बैर है 
दुनियां उड़ाती है जब भी उपहास 
सच कहूँ अब डर नहीं लगता
-सुधीर सिंह "सुधाकर"

बुधवार, 11 अप्रैल 2018

डर.....डॉ. आराधना श्रीवास्तव


मुझे सजा सँवार कर
गम्भीरता की चादर डाल कर
फिर से 
बैठा दिया गया
भावी वर के घर वालों के समक्ष
मन में हज़ारों डर और आशंकायें लिए।
उनकी परखती
अन्दर तक बेधती नज़रें
मुझ में ढूँढने लगी 
एक सुन्दर, सुसंस्कृत, शिक्षित आदर्श बहू
घर और परिवार को सम्भालने के गुण 
दहेज की लिस्ट की लम्बाई
और वज़न।
इन सबसे बढ़ कर
मेरे प्रमाणपत्रों में कमाऊ होने के सर्टिफिकेट
और मै स्वयं में सिकुड़ती सिमटती
तूफ़ान के बाद की तबाही से डरती
न चाहते हुए भी ईश्वर से मनाने लगी
कि जाने वाले, पिछलों की तरह
निराशा और उदासी का साम्राज्य 
न छोड़ जायें।

-डॉ. आराधना श्रीवास्तव

सोमवार, 9 अप्रैल 2018

जाने कितनी उड़ान बाक़ी है.....राजेश रेड्डी

जाने कितनी उड़ान बाक़ी है
इस परिन्दे में जान बाक़ी है

जितनी बँटनी थी बँट चुकी ये ज़मीं
अब तो बस आसमान बाक़ी है

अब वो दुनिया अजीब लगती है
जिसमें अम्नो-अमान बाक़ी है

इम्तिहाँ से गुज़र के क्या देखा
इक नया इम्तिहान बाक़ी है

सर कलम होंगे कल यहाँ उनके
जिनके मुँह में ज़ुबान बाकी है
-राजेश रेड्डी

गुरुवार, 5 अप्रैल 2018

उड़ान का हौसला......कुसुम कोठारी


रोने वाले सुन आंखों मे
आंसू ना लाया कर
बस चुपचाप रोया कर
नयन पानी देख अपने भी
कतरा कर निकल जाते हैं। 

जिंदगी की आंधियां बार बार 
बुझाती रहती है जलते चराग
पर जो दे चुके भरपूर रौशनी 
उनका एहसान कभी न भूल
उस के लिए दीप बन जल। 

जिस छत तले बसर की जिंदगी 
तूफानों ने उजाड़ा उसी गुलशन को  
गुल ना कली ना कोई महका गूंचा
बिखरी पंखुरियों का मातम ना कर
फिर एक उड़ान का हौसला रख ।

सुख के वो बीते पल औ लम्हात
नफासत से बचाना यादों मे
खुशी की सौगातें बाधं रखना गांठ
नाजुक सा दिल बस साफ रहे 
मासूमियत की हंसी होंठों पे सजी रहे।
 -कुसुम कोठारी

14...बेताल पच्चीसी....चोर क्यों रोया

चोर क्यों रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?” अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक सा...