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बुधवार, 31 जनवरी 2018

ख़ामोशियाँ बोलती हैं (हाइकु).....डॉ. सरस्वती माथुर



शाखों ने बाँधी
पातों की झाँझर तो
हवायें बोलीं।
...........
पाखी गुंजाये
हवाओं में संगीत
बासंती गीत।
..............
ठंडे सवेरे
रातों को बिछा के
रातें थीं सोयीं ।
.............
गुलमोहर
तुम्हारी ललाई से
बसंत आया।
.........
सवेरा जागा
सूर्य सा मन मेरा
धूप सा भागा।
..............
राज खोलती
कुछ ख़ामोशियाँ भी
रहें बोलतीं।
.............
सर्दी की भोर
अलाव सूरज पे
धूप तापती।
..............
मीठे संवाद
चिड़ियों के खोये तो
जंगल रोये।
................
मैल साँझ की 
मटमैली करती
देह नभ की।
................
धूप किरणें
घास पर बुनती
हरी सी दरी।
.............
सूखी है डाल
तितली - भँवरों का 
बुरा है हाल।
..............
नभ के माथे
सूरज का झूमर
रोशन धूप।
-डॉ. सरस्वती माथुर

मंगलवार, 30 जनवरी 2018

खत पुराना कोई खुला होगा....काशी नाथ त्रिपाठी

दिल में यादों का बुलबुला होगा
खत पुराना कोई खुला होगा

जब मिले होंगे नये दो दिल तो
प्यार का सिलसिला चला होगा

जिन्दगी की उदास राहों में
उनके जैसा कोई मिला होगा

आँख उनकी जो नम हुई होगी
कुछ कहीं बर्फ सा पिघला होगा

उनके एहसास ये बताते हैं
जुस्तजू में कोई जला होगा

अब तो संजीदा हो गए "काशी"
दर्द दिल में कोई पला होगा
-काशीनाथ त्रिपाठी

सोमवार, 29 जनवरी 2018

अचेतन......मीना चोपड़ा


Image result for जला करते हैं
जला करते हैं
राख से निकलकर अँधेरे
साँस के टुकड़े को
जगाने के लिये,
उम्र की नापाक
हथेली से फिसलकर
जो बियाबान जंगलों में घिरी
संकीर्ण गुफाओं में छुपा
नींद को ओढ़े हुए
सोने का बहाना करता है।

-मीना चोपड़ा
 नैनीताल 

रविवार, 28 जनवरी 2018

वो शिकार देखिये.....उपेन्द्र परवाज़

उनकी निगाहों के वार देखिये
जो बच गए घायल, वो शिकार देखिये।

मेरे दिल की कोई अब कीमत कहाँ रही 
उनके दिल के, आज खरीददार देखिये।

बारिशों में खुलने लगे है अब हुस्न के भरम 
जो रंग छोड़ने लगे, वो रुख़सार देखिये।

गुज़रे जहाँ से वहाँ हुए, क्या क्या नहीं सितम
तीमारदार भी हो गये, अब बीमार देखिये।

फ़िज़ा में हुस्न का ज़हर फैला है इस कदर 
कि उतर नहीं रहे अब, इश्क के बुखार देखिये।

जब दिल की तमन्नाओ पे फिर ही गया पानी 
तो “परवाज़” मोहब्बतों के कारोबार देखिये।
-उपेन्द्र परवाज़

शनिवार, 27 जनवरी 2018

अदेह....शैलेन्द्र चौहान

आँखों में
धुँआ
जैसे अन्धा कुआँ

सूरदास की आँखें
बगुला की पाँखें

तुमने मुझे छुआ
अंधेरे में
अदेह !

मैं उड़ा
झपटा मछली की
आँख पर

सूखे पोखर का
रहस्य
न मछली
न मछली की आँख

बस
सूखे कठोर
मिट्टी के ढेले

-शैलेन्द्र चौहान

शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

नफ़े का है सौदा इसे मत गँवाना....देवी नागरानी

बहारों का आया है मौसम सुहाना
नये साज़ पर कोई छेड़ो तराना।

ये कलियाँ, ये गुंचे ये रंग और ख़ुशबू
सदा ही महकता रहे आशियाना।

हवा का तरन्नुम बिखेरे है जादू
कोई गीत तुम भी सुनाओ पुराना।

चलो दोस्ती की नई रस्म डालें
हमें याद रखेगा सदियों जमाना।

खुशी बाँटने से बढ़ेगी ज़ियादा
नफ़े का है सौदा इसे मत गँवाना।

मैं देवी ख़ुदा से दुआ माँगती हूँ
बचाना, मुझे चश्मे-बद से बचाना।
-देवी नागरानी

गुरुवार, 25 जनवरी 2018

अब जिया जाये बस जिया जाए.....सचिन अग्रवाल

और तो ख़ैर क्या कहा जाए 
बेसबब मुंह का ज़ायका जाए .

फिर उसे ढूंढने का क्या मतलब
कोई जब इस क़दर चला जाए .

तुम ही आ जाओ आशना मेरे
इससे पहले कि कोई आ जाए .

गीत ग़ज़लों से सफ़हे ज़ख़्मी हैं
अबके एक फूल को लिखा जाए .

तुम ज़मीं घर की बात करते हो
आदमी आदमी को खा जाए .

भूख है ,आजिज़ी है, सब्र भी है
और क्या कर्ज़ कर लिया जाए .

हाथ तो काट भी लिए लेकिन
इन लकीरों का क्या किया जाए .

तुम कहीं और ब्याह कर लोगी
एक तसव्वुर जो दिल हिला जाए .

अब ये उम्मीद ,आस दफ़्न करो
अब जिया जाये बस जिया जाए .

ख़्वाब जैसे उधेड़ दें सांसे
नींद जैसे गला दबा जाए .

आके मदमस्त फिर कोई जुगनू
रात की धज्जियां उड़ा जाए.

( क़तरा से .... )

- सचिन अग्रवाल

बुधवार, 24 जनवरी 2018

पलाश का मौसम....कुसुम कोठारी


पलाश का मौसम अब आने को है
जब खिलने लगे पलाश
संजो लेना
आंखों मे
सजा रखना हृदय तल मे
फिर सूरज कभी ना डूबने देना
चाहतों के पलाश
बस यूं ही खिले खिले रखना
हरे रहेगें अरमानों के जंगल
प्रेम के हरे रहने तक।
-कुसुम कोठारी 

मंगलवार, 23 जनवरी 2018

हर बरस आऊंगा.....'सदा' सीमा सिंघल


बसंत पंचमी को
माँ सरस्वती का वन्दन
अभिनंदन करते बच्चे आज भी
विद्या के मंदिरों में
पीली सरसों फूली
कोयल कूके अमवा की डाली
पूछती हाल बसंत का
तभी कुनमुनाता नवकोंपल कहता
कहाँ है बसंत की मनोहारी छटा ?
वो उत्सव वो मेले ???
सब देखो हो गए हैं कितने अकेले
मैं भी विरल सा हो गया हूँ
उसकी बातें सुनकर
डाली भी करुण स्वर में बोली
मुझको भी ये सूनापन
बिलकुल नहीँ भाता !!
....
विचलित हो बसंत कहता
मैं तो हर बरस आता हूँ
तुम सबको लुभाने
पर मेरे ठहरने को अब
कोई ठौर नहीं
उत्सव के एक दिन की तरह
मैं भी पंचमी तिथि को
हर बरस आऊंगा
तुम सबके संग
माता सरस्वती के चरणों में
शीष नवाकर
बासंती पर्व कहलाऊंगा !!!!
-'सदा' सीमा सिंघल

सोमवार, 22 जनवरी 2018

दुनियाँ पर भारी हो गया.....सजीवन मयंक

ईमानदारी से चला दुनियाँ पर भारी हो गया।
कुछ दिनों के बाद सड़कों पर भिखारी हो गया।।

सामने कुछ और कहते पीठ पीछे और कुछ।
इस कला का नाम अब तो दुनियादारी हो गया।।

दुनियाँभर के जुर्म जो ता उम्र भर करता रहा।
आज कल वो किसी मंदिर का पुजारी हो गया।।

लोग अब एहसान भी करते किसी पर इस तरह।
ज़िंदगी भर के लिये कर्ज़ा उधारी हो गया।।

ताल की इन मछलियों को क्यों नहीं विश्वास है।
आज का बगुला भगत भी शाकाहारी हो गया।।
-सजीवन मयंक

रविवार, 21 जनवरी 2018

यूँ जब-जब शबनम रोती है...’गुमनाम’ पिथौरागढ़ी

२२ २२ २२ २२
यूँ जब-जब शबनम रोती है
यह देख के शब नम होती है

दुनिया परवाह करेगी क्यों
ज़ख़्मों पर वाह जो होती है

जगमग देखी दुनिया मेरी
जग मग में ख़्वाब डुबोती है

प्रिय तम में छोड़ गया उसको
प्रियतम की ख़ातिर रोती है

मूसा फिर राह दिखाते जब
फिर राहे-मुसाफ़िर होती है
-’गुमनाम’ पिथौरागढ़ी

शुक्रवार, 19 जनवरी 2018

आज हुवा फिर से बवाल....कुसुम कोठारी

आज हुवा फिर से बवाल
घर मे मच गया घमासान
लगता आया है तूफान।

दादा जी का जन्मदिवस था
आये सारे ही शैतान
रिकी मिकी नवल चपल
पिंकी गुडिया पीहू रिधान
खाया छीना झपटा पटका
इसकी चोटी उस का कान। 
आज हुवा फिर से....... 

टीवी पर थी सब की नजरें
कहां छुपाया रिमोट कन्ट्रोल
रिकी मिकी क्रिकेट दिवाने
पोके मोन देखूं कहे चपल 
कोई कहे ये देखूं कोई कहे वो
झगडे मे टूटा रिमोट,मचा धमाल। 
आज हुवा फिर से.... 

चाचा गुर्राये कर आंखें लाल
ताऊ जी उठे छडी संभाल   
मम्मीयां खडी थी भींचें दांत
कांप गये सोच के वो घडी
कान खिंचाई बिल्कुल पक्की
अब किसकी कमर पर बेंत पडी। 
आज हुवा फिर से...

तभी दादाजी ने ऐनक चढाई
बोले बच्चों कैसी है ये लडाई
हम तो भइया जोरो से लडते
एक आध का दांत थे तोडते   
तुम सब तो हो बड़े ही भोले 
मिलेगें सब को पुरी छोले । 
आज हुवा फिर से.... 

शुरू हो गया फिर से धमाल
दादाजी ने किया कमाल
सबके चेहरों पर खुशियां छाई
सब ने  खूब आशीषें पाई 
खाने को ढेरों थे पकवान
आज तो भइया बच गये कान। 
आज हुवा फिर से बवाल ।
कुसुम कोठारी 

गुरुवार, 18 जनवरी 2018

मैं तुझे पहचानता हूँ....काशी नाथ त्रिपाठी


इक तरफ गुंजान बस्ती इक तरफ सुनसान बन
देखिए जब तक जहाँ लग जाय दीवाने का मन

जो न तुझको जानता हो जा के धोखा उसको दे
मैं तुझे पहचानता हूँ , जिन्दगी मुझसे न बन

चंद आँसू , काँटे, चंद कलियाँ, चंद फूल
हों सलीके से जहाँ मौजूद, वो भी इक चमन

देर तक उठता धुआँ, उठ उठ के सर धुनता रहा
सब के सब चौंके अँधेरी हो चुकी जब अंजुमन

तुम जिसे समझे हो बालों की सफेदी मेरे यार
मैं समझता हूँ उसे अपनी जवानी का कफन
-काशी नाथ त्रिपाठी
प्रस्तुतिः नीतू ठाकुर, 


बुधवार, 17 जनवरी 2018

जिंदगी भारी बहुत है...अलका गुप्ता

फूँकने को एक..चिंगारी बहुत है !
मौत से तो..जिंदगी भारी बहुत है !!

सीख अब हमने लिया है सबक यारा..
जिंदगी मीठी कभी खारी बहुत है !!

ऐहसासों में अब...दम कहाँ खुदाई !
आज रुख हर तरफ़..बाजारी बहुत है !!

धुंध हटती क्यूँ नहीं...उस..वेहया से !
खून में..जो...आज...गद्दारी बहुत है !!

सिलसिला मिलने नहीँ देता जभी तो...
गुफ्तगू में एक लाचारी बहुत है !!

आइना तो झूठ बोला ही नहीं था !
उस दिखावे में अदाकारी बहुत है!!

शोखियाँ जर-जर हुईं हैं भारती क्यूँ ?
नोचता अब फ़कत फुलवारी बहुत है !!

-अलका गुप्ता

मंगलवार, 16 जनवरी 2018

काश मै गुलाब होता.....नीतू ठाकुर


जंगली एक फूल

ताउम्र ये कहता रहा
आँख से आँसू का झरना
हर घडी बहता रहा
काश मै गुलाब होता
तो कितना लाजवाब होता
किसी के ख्वाबों में आता
किसी की जुल्फें सजाता
हर कोई मुझे देख कर मुस्कुराता
कोई हसीन लब मुझे चूम जाता
काश मै गुलाब होता......
कोई पन्नों में छुपाता
कोई दिल में बसाता
एक कोने में लावारिस सा
तन्हा तन्हा न रह जाता
काश मै गुलाब होता.......
भगवान के मस्तक पर सजता
उनके चरणों में बसता
जब निकलते प्राण
तब भी मन हसता
काश मै गुलाब होता......
मुकद्दर ने दे दी
उम्र भर की रुसवाई
मुझ जैसे जंगली की
किसी को याद न आई
न खुशबू न रंगत ही पाई
क़ुदरत ने की क्यों बेवफाई?
काश मै गुलाब होता......
- नीतू ठाकुर

सोमवार, 15 जनवरी 2018

ज़रा-सी देर में... व्हाट्स एप्प से

ज़रा-सी देर में दिलकश नज़ारा डूब जायेगा;
ये सूरज देखना सारे का सारा डूब जायेगा;

न जाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं;
हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा;

सफ़ीना हो के हो पत्थर, हैं हम अंज़ाम से वाक़िफ़;
तुम्हारा तैर जायेगा हमारा डूब जायेगा;

समन्दर के सफर में किस्मतें पहलू बदलती हैं;
अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगा;

मिसालें दे रहे थे लोग जिसकी कल तलक हमको;
किसे मालूम था वो भी सितारा डूब जायेगा।
.........व्हाट्स एप्प से


रविवार, 14 जनवरी 2018

अज़ब-गज़ब

ये भिखारी महीने के 1 लाख रूपये तक कमा लेता है
आज मीडिया जहाँ हर देश विदेश के कोने तक की खबर हम तक पहुँचता है.जिसमे सोशल मीडिया भी आजकल पीछे नहीं है.जिसके जरिये कुछ ही घंटों में कोई भी खबर या फोटो वायरल हो जाती है.इसी तरह कुछ दिन पहले ही एक भिखारी की तस्वीर को काफी शेयर किया गया। जिसमे वो अपने आगे लगे पैसों के ढेर में से पैसे गिन रहा था.जिसके बाद इस तस्वीर को वायरल होने में ज़्यादा समय नहीं लगा.
यह भिखारी चीन का रहने वाला है जो हर महीने करीब 1 लाख रूपये तक कमा लेता है.यहाँ तक की यह अपने बच्चों को शहर के बड़े स्कूल में दाखिला करवा चुका है.सबसे पहले इस तस्वीर को चीन के माइक्रो ब्लॉगिंग साइट वीबो पर अपलोड किया गया था.
यह हर महीने 1700 डॉलर यानि महीने के 1 लाख रूपये तक 
कमा लेता है.यह भीख मांग कर ही अपने बच्चों का और अपना घर खर्च चलाता है.इसके साथ ही भीख मांग कर इसने बीजिंग शहर में अपना खुद का घर भी बना लिया है.हर महीने यह इसी तरह पैसों को जमा करके उन्हें अपने बैंक में जमा करा देता है.कमाल की बात है उसको कई बार तो पैसे गिनने के लिए मदद की जरुरत पड़ती है.जिसके बाद जो भी इसकी पैसों को गिनने में मदद करता है 
यह उसे पैसे भी देता है.

शनिवार, 13 जनवरी 2018

कुछ देर गर्माहट का एहसास.....कुसुम कोठारी


अच्छा लगता है ना, जाड़े में अलाव सेंकना
खुले आसमान के नीचे बैठ सर्दियों से लड़ना
हां कुछ देर गर्माहट का एहसास
तन मन को अच्छा ही लगता है
पर उस अलाव का क्या
जो धधकता रहता हर मौसम 
अंदर कहीं गहरे झुलसते रहते जज्बात
बेबसी,बेकसी और भूखे पेट की भट्टी का अलाव 
गर्मियों में सूरज सा जलाता अलाव
धधक धधक खदबदाता 
बरसात मे सीलन लिये धुंवा धुंवा अलाव
बाहर बरसता सावन, अंदर सुलगता 
पतझर मे आशाओं के झरते पत्तों का अलाव
उडा ले जाता कहीं उजडती अमराइयों मे
सर्दी मे सुकून भरा गहरे तक छलता अलाव।
-कुसुम कोठारी

शुक्रवार, 12 जनवरी 2018

12 क्षणिकाएँ.....डॉ. सुधा गुप्ता


क्षणिकाएँ
............................
गुलाब की नन्हीं कली
तोड़, तुम्हारे बालों में 
सजा दी 
उँगली में चुभा काँटा 
रहा याद दिलाता
कि तुम चली गई …
.......
कैक्टस कठोर
काँटों से भरा, बदसूरत 
निकली कली 
कोमल / अपूर्व सुन्दरी॥
दन्तैल भयावह राक्षस की
सपना बिटिया।
......
मुद्दत बाद 
तुम्हारे शहर आना हुआ 
धड़कते दिल से
मौहल्ला, गली, मकान
खोज डाला / सब कुछ 
वही था।
जस का तस 
सिर्फ़ तुम थे गुम
......
पावस-साँझ ।
आकाश में 
इन्द्र धनु उग आया
मन भरमाया
ख़यालों में लहराया
तेरा / बहुरंगी आँचल ।
......
सीप के अधर खुले 
कोई / स्वाति- बूँद
आ गिरे 
मोती बन… उगे ।
.......
अभी भोर थी 
दस्तक पड़ी 
खोला जो द्वार
हर्ष का न रहा
पारावार,
वसन्त खड़ा था ।
.....
नहा-धोकर
ऊषा ने खोले
पावन द्वार
निराले पंछी
मधुर स्वरों में 
गाते गुरबानी ।
.......
तुम्हें विदा दे 
ज्यों ही मुड़ी, देहरी के पार 
एक साथ यादें करने लगीं
कदम ताल-------
......
आज के नाते-रिश्ते
बोझ –केवल बोझ
गरमाई
बरसों पुरानी भरी 
ठण्डी बोसीदा रज़ाई ।
.......
हज़ारों
नन्हें-नन्हें पुरज़े
लिख मारे 
प्रेम -मतवारे वसन्त ने
धरती के नाम
अब /इधर –उधर 
हवा में 
उड़ते फिर रहे हैं।
.......
सपनों ने लुभाया
तो चट्टानों से टकराया
आशा ने बुलाया-
बियाबान में ला पटका
मासूम बेचारा दिल ।
......
धूल से अँटा 
मैला- सा एक दिन
खुल पड़ा / अनायास
मन का भण्डार 
वहाँ भी भरा था 
यादों का गर्द-गुबार ।
-डॉ. सुधा गुप्ता

गुरुवार, 11 जनवरी 2018

जियो उस प्यार में जो मैंने तुम्हें दिया है.........अज्ञेय

जियो उस प्यार में
जो मैंने तुम्हें दिया है,
उस दु:ख में नहीं जिसे
बेझिझक मैंने पिया है।

उस गान में जियो
जो मैंने तुम्हें सुनाया है,
उस आह में नहीं‍ जिसे
मैंने तुमसे छिपाया है।

उस द्वार से गुजरो
जो मैंने तुम्हारे लिए खोला है,
उस अंधकार से नहीं
जिसकी गहराई को
बार-बार मैंने तुम्हारी रक्षा की भावना से टटोला है।

वह छादन तुम्हारा घर हो
जिसे मैं असीसों से बुनता हूं, बुनूंगा;
वे कांटे-गोखरू तो मेरे हैं
जिन्हें मैं राह से चुनता हूं, चुनूंगा।

वह पथ तुम्हारा हो
जिसे मैं तुम्हारे हित बनाता हूं, बनाता रहूंगा;

मैं जो रोड़ा हूं, उसे हथौड़े से तोड़-तोड़
मैं जो कारीगर हूं, करीने से
संवारता-सजाता हूं, सजाता रहूंगा।

सागर किनारे तक
तुम्हें पहुंचाने का
उदार उद्यम ही मेरा हो;

फिर वहां जो लहर हो, तारा हो,
सोन-परी हो, अरुण सवेरा हो,

वह सब, ओ मेरे वर्ग!
तुम्हारा हो, तुम्हारा हो, तुम्हारा हो।

--सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'

बुधवार, 10 जनवरी 2018

नारी शक्ति का गलत आंकलन....[Whatsapp समूह से]

                  "मैं चुप नहीं रहूँगी"                 
      मोनिका की जब आंख खुली तब उसका शरीर बुरी तरह टूट रहा था । कुछ अजीब सा एहसास होने पर उसने अपने शरीर पर पड़ी चादर हटायी । वह पूरी तरह निर्वस्त्र थी । उसके कपड़े डबल-बेड के एक कोने में पड़े थे ।

      यह सब कैसे हो गया ? वह यहां कैसे आ गयी ? वह तो....वह तो...अमन को अपने नोट्स दिखाने उसके घर आयी थी । अमन ! अमन कहां गया ? क्या उसे नहीं मालूम कि उसके साथ यह सब क्या हो गया ? कहीं इस सबके पीछे उसी का हाथ तो नहीं ? नहीं - नहीं अमन ऐसा नहीं कर सकता । वह तो उससे प्यार करता है । फिर, यह सब किसने और कैसे किया ?

      मोनिका का दिमाग चकरा कर रह गया । उसके सोचने समझने की शक्ति समाप्त होती जा रही थी । किसी तरह अपने टूटते शरीर को संभालते हुये वह बिस्तर से उतरी । कपड़े पहनने के बाद उसने बेड-रूम का दरवाजा खोलने की कोशिश की लेकिन वह बाहर से बंद था । उसने कई बार दरवाजा थपथपाया लेकिन कोई आहट नहीं मिली । परेशान मोनिका लस्त-पस्त सी वहीं रखे सोफे पर गिर पड़ी ।

      अमन एक प्रभावशाली मंत्री दीनानाथ चैधरी का एकलौता बेटा और उसका सहपाठी था । दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे । अमन तो कई बार उससे अपने प्यार का इजहार कर चुका था । वह उसे मंहगे होटलों में घुमाने ले जाना चाहता था लेकिन मोनिका अभी अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर केन्द्रित किये हुये थी । उसका लक्ष्य सिविल - सर्विस में जाने का था । इसलिये कैरियर बनने के बाद ही वह इन सब बातों के बारे में सोचना चाहती थी ।

      अमन अक्सर कॉलेज नहीं आता था तब मोनिका उसे अपने नोट्स दे देती थी । इस बार अमन एक सप्ताह तक कालेज नहीं आया । मोनिका ने फोन किया तो पता चला कि उसे वायरल है । वह आज ही कॉलेज आया था । मोनिका ने जब उसे अपने नोट्स दिये तो उसने कहा,‘‘मोनिका, मुझे बहुत कमजोरी लग रही है । प्लीज़ आज मेरे घर चल कर मेरे नोट्स तैयार करवा दो । इसी बहाने मम्मी से भी तुम्हारी मुलाकात हो जायेगी ।’’

      मोनिका तैयार हो गयी । अमन की कार में जब वह उसके घर पहुंची तो अमन ने बताया कि मम्मी मंदिर गयीं है । दस-पांच मिनट मे आती होंगी । उसने फ्रिज से निकाल कर उसे कोल्ड-ड्रिंक्स दी जिसको पीने के बाद उसका सिर चकराने लगा था । उसके बाद क्या कुछ हुआ मोनिका को याद नहीं आ रहा था ।

      किंतु तस्वीर अब बिल्कुल साफ हो चुकी थी । उसकी अस्मत से खिलवाड़ अमन ने ही किया था । उस अमन ने जिससे वह प्यार करती थी । मोनिका की आंखो से आंसू बह निकले । अपने शरीर को संभालते हुये वह एक बार फिर उठी और पूरी शक्ति से दरवाजा पीटने लगी ।

     इस बार दरवाजा खुल गया । सामने ही अमन खड़ा था । उसकी आंखे नशे से लाल थीं । उसे देखते ही मोनिका उसके सीने पर घूंसे बरसाते हुये फफक पड़ी,‘‘अमन, यह क्या किया तुमने ?’’

‘‘प्यार किया है । जी भर कर तुम्हें प्यार किया है ’’ अमन मुस्कराया ।

‘‘यह प्यार नहीं है । यह पाप है ’’ मोनिका ने सिसकी भरी ।

   ‘‘अरे पगली, यही सच्चा प्यार है जो एक लड़का एक लड़की से करता है ’’ अमन ने मोनिका की ठुढ्ढी को उपर उठाये हुये उसकी कोपलों को चूमा ।

   मोनिका ने अपनी अश्रुपूरित पलकों को उठा कर अमन के चेहरे की ओर देखा फिर उसके चौड़े सीने पर सिर टिकाते हुये बोली,‘‘अमन, अब मुझसे शादी कर लो ।’’

    जैसे बिजली का झटका लगा हो । अमन ने मोनिका को अपने सीने से अलग कर दिया और उसकी दोनों बाहों को पकड़ते हुये बोला,‘‘मैं तुमसे प्यार करता हूं और करता रहूंगा । मेरे पास इतने पैसे है कि तुम्हें हमेशा खुश भी रखूंगा लेकिन यह शादी - वादी का ख्वाब देखना छोड़ दो । यह संभव नहीं है ।’’

   जैसे तुषार-पात हुआ हो । मोनिका ने अपने को अमन की बाहों से छुड़ा लिया और भर्राये स्वर में बोली,‘‘इसका मतलब तुम पैसे के बल पर मुझे अपनी रखैल बनाना चाहते हो ।’’

     ‘‘छी...छी...यह तो बहुत गंदा शब्द है । मैं तुम्हें रखैल नहीं बल्कि तुम्हारा कैरियर बनाना चाहता हूं । मेरे डैडी के इतने कान्टैक्ट हैं कि मैं तुम्हें जमीन से उठा कर आसमान पर पहुंचा दूंगा ’’ अमन ने मोनिका का हाथ थाम लिया ।

      ‘‘बहुत बड़ी गलतफहमी है तुम्हें अपने बाप के पैसे और उनके कान्टैक्ट के बारे में ’’ मोनिका ने एक झटके से अपना हाथ छुड़ा लिया और फुंफकारती हुयी बोली,‘‘तुमने गलत जगह हाथ डाल दिया है । मैं तुम्हें छोडूंगी नहीं । पुलिस में तुम्हारे खिलाफ रिर्पोट लिखवाउंगी ।’’

     ‘‘फिर वही मिडिल क्लास मेंटेलेटी ’’ रमन बेशर्मी से मुस्कराया फिर बोला,‘‘ मुझे यकीन था कि तुम कुछ ऐसा ही कर सकती हो इसलिये मैनें उसका भी प्रबंध कर रखा है ।’’

      इतना कह कर उसने अपना मोबाईल निकाला और उसे मोनिका की ओर बढ़ाते हुये बोला,‘‘इत्मिनान से देख लो । इसमें सारे कांड की वीडियो क्लिपिंग मौजूद है । अगर तुमने कोई भी मूर्खता की तो इसकी कापी सबसे पहले तुम्हारे घर वालों के पास पहुंचेगी फिर पूरे शहर में । उसके बाद अपनी बर्बादी की जिम्मेदार तुम स्वयं होगी ।’’

     मोनिका ने उस वीडियो क्लिपिंग की एक झलक देखी तो उसके पैरों तले से जमीन खिसक गयी । उसे अपनी टांगे कांपती हुयी महसूस हुयी और वह एक बार फिर उस कमरे में रखे सोफे पर गिर पड़ी ।

    ‘‘कोई जल्दी नहीं है । इत्मिनान से इसे देख लो फिर अपना फैसला सुनाना । मैं इंतजार करूंगा ’’ रमन मोबाईल मोनिका के हाथों में थमा कर बाहर चला गया ।

    मोनिका के अंतर्मन में हाहाकर मचा था ।उसका रोम-रोम कांप रहा था। अपनी बेबसी पर एक बार फिर उसके आंसू निकल आये । वह समझ गयी थी कि अब इस अंधेरी सुरंग से बाहर निकल पाना संभव नहीं था । उसे अमन के ईशारों पर नाचना ही होगा । उसे अमन की ‘सैक्स-स्लेव’ बनना ही पड़ेगा ।

      ‘सैक्स-स्लेव’! मोनिका की सोच को झटका लगा । वह देश की सबसे शक्तिशाली सेवा सिविल-सर्विसेज़ की तैयारी कर रही थी । एक दिन प्रशासन की बागडोर थामना उसका सपना था और वह एक गुंडे के सामने हार मान ले ? नहीं वह इतनी कमजोर नहीं है । वह इसका मुकाबला करेगी । उसके साथ जो अन्याय हुआ है उसका प्रतिकार करेगी ।

     मोनिका की धमनियों का खून खौलने सा लगा ।उसके जबड़े भिंच गये। अपने आंसू पोंछते हुये वह दूसरे कमरे में पहुंची । वहां अमन बहुत इत्मिनान से मेज पर टांगे फैलाये बियर पी रहा था ।

‘‘स्वीट हार्ट, क्या फैसला लिया ?’’ अमन ने मुस्कराते हुये पूछा ।

     ‘‘फैसला लेना इतना आसान नहीं है ’’ मोनिका ने शांत स्वर में कहा फिर बोली,‘‘अगर हो सके तो इस वीडियो की एक कापी मुझे भी दे दो । उसे घर पर इत्मिनान से देखने के बाद ही मैं कोई फैसला ले सकूंगी ।’’

      ‘‘वीडियो की कापी क्या , मेरी तरफ से तोहफा समझ कर तुम यह खूबसूरत मोबाईल ही रख लो । वीडियो की मेरे पास दूसरी कापी मौजूद है ’’ अमन ने कंधे उचकाये फिर एक-एक शब्द पर जोर देते हुये बोला,‘‘तुम्हारी इज्जत अब तुम्हारे ही हाथ में है । मुझे विश्वाश है कि तुम सही फैसला ही लोगी ।’’

     मोनिका ने उसकी बात का कोई उत्तर नहीं दिया और मोबाईल लेकर बाहर निकल आयी ।

   घर पर मम्मी-पापा उसकी ही प्रतीक्षा कर रहे थे । उसे देखते ही मम्मी ने घबराये स्वर में कहा,‘‘बेटी, बहुत देर कर दी । कहां रह गयी थी ?’’

  ‘‘मम्मी, अमन ने मेरे साथ रेप कर दिया है ’’ मोनिका ने बताया । उसका चेहरा इस समय भावना शून्य हो रहा था ।

‘‘क्या कर दिया ?’’मम्मी को अपने सुने पर विश्वाश नहीं हुआ ।

‘‘मेरा रेप कर दिया है ’’ मोनिका के होंठ यंत्रवत हिले ।

   ‘‘क्या कहा तूने ? क्या कर दिया है ?’’ मम्मी को अभी भी अपने सुने पर विश्वाश नहीं हो रहा था।

   ‘‘कितनी बार बताउं कि अमन ने मेरा रेप कर दिया है । रेप...रेप यानि बलात्कार ’’ मोनिका झल्ला सी उठी ।

    ‘‘हाय, बेहया, बेशर्म, बेगैरत । मुंह काला करके आ रही है और बता ऐसे रही है जैसे बहुत बड़ा ईनाम जीत कर आ रही है । यह सब बताते हुये तुझे लज्जा नहीं आयी ’’ मम्मी ने रोते हुये मोनिका पर थप्पड़ो की बरसात कर दी ।

      ‘‘मम्मी, मुंह मैनें नहीं बल्कि अमन ने काला किया है । लज्जा मुझे नहीं बल्कि उसे अपने कुकर्मो पर आनी चाहिये ’’मोनिका ने पीछे हट मम्मी के वार से अपने को बचाया फिर बोली,‘‘मुझे ब्लैक-मेल करने के लिये उसने वीडियो भी बनायी है । मैं उसकी एक कापी ले आयी हूं। वही उसके खिलाफ सबसे बड़ा सबूत होगा ।मेरे साथ पुलिस स्टेशन चलिये। मुझे उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखवानी है ।’’

    ‘‘बेटा, जो हुआ है उसे भूल जा । रिपोर्ट लिखवाने से पूरे खानदान की नाक कट जायेगी । हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगें ’’ मम्मी ने रोते हुये मोनिका को अपने सीने से लिपटा लिया और उसकी पीठ सहलानी लगीं ।

         ‘‘मम्मी, अगर रिपोर्ट लिखवायी तो हम लोग नहीं बल्कि वे लोग किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगें । नाक हमारी नहीं बल्कि उनकी कटेगी’’ मोनिका ने अपने को अलग किया फिर बोली,‘‘अगर रिपोर्ट नहीं लिखवायी तो मैं घुट-घुट कर जीती रहूंगी।सोते-जागते उस अपराध की सजा भुगतूंगी जो मैने नहीं बल्कि किसी और ने किया है ’’

     ‘‘तू समझती क्यूं नहीं । हम लड़की वाले हैं । बदनामी हमेशा लड़की की ही होती है’’ इतना कह कर मम्मी अपने पति किशोर दयाल की ओर मुड़ीं और तड़पते हुये बोलीं,‘‘आप मौन क्यूं खड़े हैं ? इसको समझाते क्यूं नहीं ?’’

      किशोर दयाल अब तक हतप्रभ से खड़े थे । अचानक वे चौंक से पड़े और मोनिका के सिर पर हाथ फेरते हुये बोले,‘‘ बेटा, जो हुआ उसे भूल जा । पुलिस-वुलिस तक जाना ठीक नहीं है ।’’

    ‘‘पापा, यह आप कह रहे है जिन्होंने मुझे हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ना सिखलाया है ’’ मोनिका तड़प उठी फिर बोली,‘‘छः महीने पहले उचक्कों ने मम्मी की चेन खींच ली थी तब आप पुलिस के पास गये थे या नहीं ? ’’

    ‘‘बेटा, चेन लुटने और इज्जत लुटने में फर्क होता है ’’ पापा का दर्द उनके स्वर में छलक आया ।

     ‘‘क्या फर्क है ?’’मोनिका का स्वर उत्तेजना से कांप उठा,‘‘मेरा शील भंग हुआ है।अगर मेरा कोई और अंग भंग हुआ होता, हाथ-पैर टूटे टूटे होते तो क्या आप मुझे डाक्टर और पुलिस के पास नहीं ले जाते?’’

   ‘‘जो तू कह रही है, वह सब सच है । मगर वे सब बहुत प्रभावशाली लोग हैं । अमन का बाप कैबनिट मंत्री है’’ पापा ने बेबसी से हाथ मले ।

‘‘इसका मतलब आप उनसे डर रहे हैं ?’’

‘‘मैं उनसे नहीं बल्कि तेरी इज्जत को डर रहा हूं ’’ पापा ने कहा ।

    ‘‘कौन सी इज्जत ! जिसे देखा नहीं जा सकता, जिसे नापा नहीं जा सकता, उसे बचाने की खातिर मैं हार नहीं मानूंगी। अगर आप लोग मेरा साथ नहीं दे सकते तो मैं अकेले पुलिस स्टेशन जा रही हूं । मैं हर हाल में अमन को उसके किये की सजा दिलवाउंगी । मैं लड़की हूं यह सोच कर चुप नहीं रहूंगी ’’ मोनिका ने कहा और दरवाजे की ओर मुड़ पड़ी ।

    किशोर दयाल ने दरवाजे तक पहुंच चुकी मोनिका को देखा फिर लड़खड़ाते कदमों से उसके पीछे आते हुये बोले,‘‘रूक जा बेटी, मैं तेरे साथ हूं ।’’

     पुलिस इंस्पेक्टर ने ध्यान से उनकी बात सुनी फिर किशोर दयाल की ओर मुड़ते हुये बोला,‘‘ये आज कल की पीढ़ी बहुत जल्दी में है । सोचती है कि दुनिया को बदल देने की सारी जिम्मेदारी उनके कंधो पर ही है । भले ही मुंह के बल क्यूं न गिरें लेकिन रीति-रिवाजों को जरूर तोड़ेगें मगर आप तो पढ़े-लिखे और समझदार आदमी है । क्या आपको अंदाजा नहीं है कि आप कितनी बड़ी गलती करने जा रहे हैं ।’’

   ‘‘इंस्पेक्टर साहब, गलती हमने नहीं बल्कि अमन ने की है और उसे इसकी सजा मिलनी ही चाहिये । इसलिये आप उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखिये ’’ मोनिका ने कहा ।

     ‘‘मैडम, समझने की कोशिश करिये । रिपोर्ट-विपोर्ट लिखवाने से कुछ नहीं होगा । वह बहुत बड़े बाप का बेटा है । आप साबित नहीं कर पायेंगी कि उसने आपके साथ रेप किया है ’’ इंस्पेक्टर ने समझाने की मुद्रा में कहा ।

   ‘‘इसका सबूत तो यह वीडियो है जिसे उसने मुझे ब्लैक-मेल करने के लिये बनाया है ’’ मोनिका ने एक-एक शब्द पर जोर देते हुये कहा ।

  ‘‘अदालत में ऐसे सबूत चुटकियों में उड़ जायेंगे । उनका वकील साबित कर देगा कि यह ट्रिक फोटोग्राफी से बनायी गयी नकली वीडियो है जिसे माननीय मंत्री को बदनाम करने के लिये बनाया गया है । इसलिये मेरी राय मानिये, चुपचाप घर जाईये । बेकार में अपनी बदनामी करवाने से आपको कोई फायदा नहीं मिलने वाला ’’ इंस्पेक्टर ने समझाने की कोशिश की ।

  ‘‘इसका मतलब मंत्री जी के डर के कारण आप रिपोर्ट नहीं लिखेगें जबकि उसे लिखना आपकी ड्यूटी है’’ मोनिका का स्वर तेज हो गया ।

   ‘‘देख लड़की , तेरे साथ कुछ उल्टा-सीधा हुआ है इसलिये उतनी देर से समझा रहा हूं ।चुपचाप घर चली जा । ज्यादा उछलेगी-कूदेगी तो हो सकता है कि कल की तारीख में तेरे ही खिलाफ रिपोर्ट लिख जाये कि मंत्री जी को ब्लैक-मेल करने के लिये तूने खुद उनके बेटे को फांस कर यह वीडियो बनवायी है ।उसकी बाद तू न घर की रहेगी न घाट की ’’ इंस्पेक्टर का लहजा अचानक ही सख्त हो गया ।

  ‘‘आप इतना बड़ा अन्याय कैसे कर सकते हैं ?’’ मोनिका की आंखे एक बार फिर छलछला आयीं ।

              ‘‘मैं और भी बहुत कुछ कर सकता हूं जिसके बारे में तू सोच भी नहीं सकती’’इंस्पेक्टर ने एक बार फिर सख्त स्वर में कहा फिर अचानक ही अपने स्वर को मुलायम बनाता हुआ बोला,‘‘तुम अभी बहुत छोटी हो इसलिये तुम्हें मालूम नहीं कि ये दुनिया कितनी जालिम है।मैं भी बीबी-बच्चों वाला हूं।उन्हें पालने के लिये मुझे भी नौकरी करनी है। इसलिये मंत्री के बेटे के खिलाफ मैं तो क्या कोई भी रिपोर्ट नहीं लिखेगा ।’’

       सच्चाई से रूबरू हो मोनिका और किशोर दयाल पुलिस स्टेशन से निकल पड़े । वे दोनों पुलिस-कप्तान के पास भी गये मगर वे भी कोरी सहानभूति जताते रहे । सरकार के सबसे प्रभावशाली मंत्री के बेटे के खिलाफ रिपोर्ट लिखने का निर्देश देने का साहस उनमें भी न था ।

        किशोर दयाल निराश हो चुके थे । मगर मोनिका हार मानने को तैयार न थी । कुछ सोच कर उसने कहा,‘‘पापा, आज-कल मीडिया सबसे सशक्त हथियार है । हम किसी बड़े अखबार के सम्पादक से मिलते हैं । अगर एक बार यह खबर छप जाये तो अमन का बाप उसे चाह कर भी नहीं बचा पायेगा ।’’

‘‘ठीक है ’’ किशोर दयाल ने सहमति जतायी ।

    दोनों राजधानी के एक प्रमुख समचार-पत्र के सम्पादक के पास पहुंचे । पूरी बात सुन उसने बिना किसी लाग-लपेट के कहा,‘‘माफ कीजयेगा मैं इस आग में अपने हाथ नहीं जला सकता ।’’

    ‘‘यह आप क्या कर रहे हैं, सर । प्रेस और मीडिया को तो लोकतंत्र का चौथा खंभा कहा जाता है । अगर अन्याय के खिलाफ आप आवाज नहीं उठायेगें तो और कौन उठायेगा ?’’ मोनिका ने विनती की ।

  ‘‘मैडम, हम चौथा खंभा जरूर हैं लेकिन हर खंभे को एक छत की जरूरत होती है । बिना छत के किसी खंभे का कोई वजूद नहीं होता है । आप लोगों को तीन या चार रूपये में जो अखबार मिलता है वह विज्ञापनों के दम पर ही इतना सस्ता पड़ता है । मैं इस स्कैंडल को उछाल कर अपने अखबार को बिना किसी छत के नहीं कर सकता । अखबार चलाने के लिये मुझे भी सरकारी विज्ञापनों की उतनी ही जरूरत है जितना जीवित रहने के लिये आक्सीजन की ’’ सम्पादक ने सत्य से परिचय करवाया ।

    ‘‘एक सीधी-सादी लड़की की इज्जत लुट गयी और आप इसे स्कैंडल कह रहे हैं ?’’ मोनिका का स्वर दर्द से भर उठा ।

   ‘‘एक बार तो आपकी इज्जत लुट चुकी है उसे और लुटाने पर क्यूं तुली है ? अगर ज्यादा शौक है तो किसी और अखबार को पकड़ लीजये और मुझे माफ कर दीजये’’ सम्पादक ने उन्हें बिदा करने के दृष्टि से हाथ जोड़ दिये ।

   धीरे-धीरे शाम हो गयी थी । अंधेरा घिरने लगा था । एक ही दिन में जितने सत्य से परिचय हुआ था उसने मोनिका को बुरी तरह झकझोर दिया था । उसका शरीर बुरी तरह थक गया था । उसमें कम से कम आज किसी और के दरवाजे पर जाने की हिम्मत शेष नहीं बची थी ।

   पापा का हाथ थामे वह चुपचाप घर लौट आयी । मम्मी अंधेरे में ही बैठी थी । किशोर दयाल ने आगे बढ़ कर लाईट जलायी तो मम्मी ने पूछा,‘‘क्या हुआ ?’’

    प्रत्युत्तर में किशोर दयाल ने पूरी बात बतायी जिसे सुन मम्मी सिसकारी भर कर रह गयीं । काफी देर तक कमरे में मौन पसरा रहा फिर मम्मी ने पूछा,‘‘कुछ खाओगी ? ले आउं ?’’

      ‘‘हां मम्मी, खाउंगी । मुझे बहुत लंबी लड़ाई लड़नी है और भूखे पेट ज्यादा देर नहीं लड़ा जा सकता । इसलिये मैं खाउंगी । भर-पेट खाउंगी । जिस पाप में मेरी कोई गल्ती नहीं है उसके लिये शोक मना कर मैं खुद को नहीं जलाउंगी’’ मोनिका ने कहा ।

     मम्मी ने कुछ नहीं कहा लेकिन उनकी आंखो से आंसू छलक आये जिन्हें पोंछते हुये वे किचन की ओर चली गयीं । किशोर दयाल चुपचाप ही बैठे रहे । ऐसा लग रहा था जैसे उनके पास शब्द ही समाप्त हो गये हों ।

     मम्मी थोड़ी ही देर में पराठे सेंक लायीं । उन्हें खाकर मोनिका ने प्लेट रखी ही थी कि उसके मोबाईल की घंटी बज उठी । उसने देखा कोई अन्जान नंबर था । उसने मोबाईल आन करते हुये कहा,‘‘हैलो ।’’

   ‘‘मिस मोनिका चौधरी बोल रही हैं ?’’उधर से एक गंभीर स्वर सुनायी पड़ा ।

‘‘जी, आप कौन ?’’

‘‘मैं अमन का बदनसीब बाप चैधरी दीनानाथ बोल रहा हूं ।’’

     अचानक मोनिका की छठी इंद्रिय जागृत हो गयी । उसने तुरन्त मोबाईल का रिकार्डिंग मोड आन कर दिया और बोली,‘‘इसका मतलब आपके कुत्तों ने आप तक खबर पहुंचा दी ।’’

     ‘‘बेटी, तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ उसके लिये मुझे अफसोस है लेकिन जो बीत गया वह वापस नहीं आ सकता । इसलिये बीस लाख रूपये ले लो और इस मामले को यहीं समाप्त कर दो ’’मंत्री जी ने शांत स्वर में कहा ।

‘‘जरूर समाप्त कर दूंगी बस मेरे एक प्रश्न का उत्तर दे दीजये ।’’

‘‘कैसा प्रश्न ?’’

   ‘‘अगर यही घटना आपकी बेटी के साथ हुयी होती तो आप कितने रूपये लेकर यह मामला समाप्त करते ?’’

   ‘‘गुस्ताख लड़की , तुझे मालूम नहीं कि तू किसके साथ बात कर रही है ?’’ मंत्री महोदय चीख पड़े ।

   ‘‘अच्छी तरह से जानती हूं कि मैं एक बलात्कारी के बेईमान बाप से बात कर रही हूं ’’ मोनिका का भी स्वर तेज हो गया ।

   ‘‘तो यह भी जानती होगी कि अगर मैं एक ईशारा कर दूं तो तेरी लाश भी ढूढे नहीं मिलेगी । इसलिये जो दे रहा हूं उसे चुपचाप रख ले और अपना मुंह बंद कर । कल सुबह तक बीस लाख रूपये तेरे घर पहुंच जायेगें ’’ मंत्री जी दांत पीसते हुये बोले ।

          मोनिका ने बिना कुछ कहे फोन काट दिया । किशोर दयाल पूरी बात समझ गये थे । अतः समझाते हुये बोले,‘‘बेटा, वे बहुत प्रभावशाली लोग हैं । उनके खिलाफ कुछ नहीं हो सकता ।’’

     ‘‘पापा, मेरे खिलाफ अन्याय हुआ है । मैं चुप नहीं बैठूंगी ’’ मोनिका ने मुट्ठियां बांध कर कहा ।

‘‘तो तुम क्या करोगी ?’’

‘‘नहीं जानती, मगर मैं चुप नहीं रहूंगी ’’ मोनिका ने कहा और अपने कमरे में चली गयी ।

     बिस्तर पर लेटे-लेटे वह काफी देर तक सोचती रही मगर तय नहीं कर पा रही थी कि क्या करे । पुलिस-प्रशासन-मीडिया कोई भी उसका साथ देने के लिये नहीं तैयार था । तो क्या उसे हार मान लेनी चाहिये ? नहीं वह हार नहीं मानेगी । तो फिर क्या करोगी ? इस प्रश्न का उत्तर उसके पास न था ।

    सोशल मीडिया ! अचानक एक बिजली सी कौंधी । सोशल मीडिया की शक्ति असीमित है । उसे सोशल मीडिया का सहारा लेना चाहिये । किंतु क्या यह आत्मघाती कदम नहीं होगा ? क्या इससे उसकी अपनी आबरू तार-तार नहीं हो जायेगी ? कहीं वह लोगों के मनोरंजन का पात्र तो नहीं बन जायेगी ?

    पूरी रात मोनिका बिस्तर पर करवटें बदलती रही मगर सुबह की किरणें फूटते-फूटते उसके मन में उजियाले की किरण फूट पड़ीं । उसे चोट पहुंची थी, उसकी अन्तरात्मा तक में घाव लगे थे और अपने घाव दूसरों को दिखलाने में कोई बुराई नहीं थी । एक कठोर निर्णय लेते हुये वह बिस्तर से उठ बैठी । लैपटाप पर उसने अपना फेसबुक एकाउन्ट खोला और लिखने लगी ।

      ‘सभी साथियों और शुभचिन्तकों को अबला कही जाने वाली स्त्री जाति की एक प्रतिनिधि का नमस्कार । मुझे क्षमा करियेगा । आज मैं वह दुसाहस करने जा रही हूं जो बहुत पहले किया जाना चाहिये था लेकिन आज तक किसी ने नहीं किया किन्तु किसी न किसी को कभी न कभी तो पहल करनी ही थी ।

      इज्जत ! इज्जत क्या होती है ? इसकी परिभाषा क्या है ? यह एक-पक्षीय क्यूं होती है ? यह हमेशा स्त्री की ही क्यूं लुटती है ? लुटेरे की इज्जत अखंडित क्यूं रहती है ? इस इज्जत की शुचिता और अखंडता की जिम्मेदारी केवल स्त्री के ही जिम्में क्यूं ? क्या पुरूष के कौमार्य और उसकी मर्यादा को अच्छुण रखना आवश्यक नहीं ? यदि बलात्कार से स्त्री का शरीर अपवित्र हो जाता है तो उसे अपवित्र करने वाले पुरूष का शरीर पवित्र कैसे रह सकता है ? अपराधी के बजाय अपराध की सजा वह भुगते जिसके साथ अन्याय हुआ है यह कहां का न्याय है ?

           यह वे प्रश्न हैं जिनके उत्तर बहुत पहले ही दिये जाने चाहिये थे । किन्तु ये प्रश्न अनुत्तरित रह गये इसीलिये पुरूष को जन्म देने वाली स्त्री आज भी पुरूषों के जुल्म सहने के लिये मजबूर है । कल मेरे साथ एक प्रभावशाली मंत्री के बेटे ने रेप किया । मैं हमेशा के लिये उसकी ‘सैक्स-स्लेव’ बन जाउं इसलिये उसने उस कुकर्म की वीडियो भी बना ली । ऐसी स्थित में एक स्त्री के पास दो ही रास्ते बचते हैं । पहला यह कि वह कुकर्मियों के इशारे पर नाचे और दूसरा यह कि वह आत्महत्या कर ले । मगर मैनें तीसरा रास्ता चुना है । अपने बलात्कार का वीडियो मैं खुद अपलोड कर रही हूं । क्योंकि मंत्री के भय से पुलिस-प्रशासन-मीडिया कोई भी मेरी मदद करने के लिये तैयार नही है । हो सकता है कि इसके बाद दुनिया मेरी नग्नता पर चटखारे ले लेकिन अपने बलात्कारियों के सामने नित्य र्निवस्त्र होकर जिल्लत भरी जिंदगी जीने से शायद यह कम शर्मनाक होगा । कोई भी निर्णय लेने से पहले आप लोग इतना अवश्य सोचियेगा कि अगर मेरे साथ बलात्कार हुआ है तो इसमें मेरा दोष क्या है ? मैं मुंह छुपाती क्यूं फिरू ? मैं आत्महत्या क्यूं करूं ? मैने तय किया है कि मैं चुप नहीं रहूंगी । अगर आपको मेरी बात जायज लगे तो मेरी आवाज के साथ आप अपनी आवाज जरूर मिलाईयेगा । वरना मुझे बेहया और बेशर्म ठहराने के लिये आप सब हमेशा की तरह स्वतंत्र है ।’’

      इतना लिखने के बाद मोनिका ने अमन से मिले वीडियो क्लिपिंग और मंत्री दीनानाथ चैधरी की आडियो क्लिपिंग को फेसबुक पर अपलोड कर दिया । उसके बाद वहीं से उसे व्हाट्सअप के कई ग्रुपों पर फारवर्ड कर दिया ।

     जैसे बहुत बड़ा बोझ सिर से उतर गया हो । मोनिका राहत की सांस लेते हुये बिस्तर पर लेट गयी । चंद पलों बाद ही वह किसी बच्चे की भांति नींद के आगोश में समा गयी ।

     ऐसा भी भला कभी हो सकता है ? अकल्पनीय सत्य ! अविश्वनीय यथार्थ ! किसी ने सोचा भी न था कि बलात्कार का शिकार होने वाली लड़की मुंह छुपाने के बजाय अपने ही बलात्कार का वीडियो आन-लाईन कर देगी । चंद पलों में मोनिका का वीडियो और आडियो दोनों ही वायरल हो गये । हर गली, हर मोड़, हर दुकान, हर मकान, हर आफिस और हर फोरम पर उसके ही चर्चे हो रहे थे । पक्ष और विपक्ष में तर्क दिये जा रहे थे । एक इसे बेशर्मी करार देता तो दस लोग अदम्य साहस ।

       नारियों और नारी संगठनों के तो जैसे सब्र का बांध ही टूट गया हो । ‘मैं चुप नहीं रहूंगीं’ के बैनर और तख्ती लिये हर गली-कूचे से महिलाओं के जत्थे बाहर निकलने लगे । हजारों की भीड़ ने दीनानाथ चैधरी के बंगले को घेर लिया । दूसरे शहरों से भी महिलाओं की भीड़ मोनिका के समर्थन में उसके घर के बाहर जमा होने लगी । हर जुबान पर बस एक ही आवाज थी ‘मैं चुप नहीं रहूंगी ।’’

     सहमते हुये चला हवा का एक झोंका देखते ही देखते प्रचंड तूफान का रूप धारण कर चुका था जिसके आगे सरकार के भी पैर उखड़ने लगे थे । दोपहर होते-होते दीनानाथ चैधरी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने और अमन को जेल भेजने की खबर आ गयी ।

                   ‘‘साथियों, अगर किसी लड़की के साथ बलात्कार हुआ है तो उसे मुंह नहीं छुपाना चाहिये । उसे अपनी आत्मा पर लगे घाव 
को वैसे ही दिखाना चाहिये जैसे शरीर पर लगे दूसरे घावों को दिखाया जाता है । शर्मसार उसे नहीं बल्कि उसे होना चाहिये जिसने यह अपराध किया है । इसलिये जिस दिन आप सब चुप न रहने का 
निर्णय ले लेंगी उस दिन ये अपराध अपने आप रूक जायेगें ’’ मोनिका अपने घर के सामने जमा स्त्रियों की भीड़ को संबोधित कर रही थी 
और सभी की आखों में उसके लिये प्रसंशा के भाव थे । उसने जो 
दिशा दिखलायी थी उसका अनुसरण करना ही अपनी सुरक्षा का सबसे सुरक्षित मार्ग था ।


:::: सारांश ::::

इज्जत की शुचिता और अखंडता की जिम्मेदारी केवल स्त्री के ही जिम्मे क्यूं ? क्या पुरूष के कौमार्य और उसकी मर्यादा को अच्छुण रखना आवश्यक नहीं ? यदि बलात्कार से स्त्री का शरीर अपवित्र हो जाता है तो उसे अपवित्र करने वाले पुरूष का शरीर पवित्र कैसे रह सकता है ? अपराधी के बजाय अपराध की सजा वह भुगते जिसके साथ अन्याय हुआ है यह कहां का न्याय है
प्रस्तुतिकरणः कुलदीप सिंह

14...बेताल पच्चीसी....चोर क्यों रोया

चोर क्यों रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?” अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक सा...