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बुधवार, 11 अक्टूबर 2017

मुझसे ऐसी उम्मीदे रखते है....जॉन एलिया

मत पूछो कितना गमगीं हूँ गंगा जी और जमुना जी
ज्यादा मैं तुमको याद नहीं हूँ गंगा जी और जमुना जी

अपने किनारों से कह दीजो आंसू तुमको रोते है
अब मैं अपना सोग-नशीं हूँ गंगा जी और जमुना जी

मैं जो बगुला बन कर बिखरा वक्त की पागल आंधी में
ज्यादा मैं तुम्हारी लहर नहीं हूँ गंगा जी और जमुना जी

अब तो यहाँ के मौसम मुझसे ऐसी उम्मीदे रखते है
जैसे हमेशा से मै यही हूँ गंगा जी और जमुना जी

अमरोहे में बान नदी के पास जो लड़का रहता था 
अब वो कहाँ है? मै तो वही हूँ गंगा जी और जमुना जी 
- जॉन एलिया

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