न करना गुमान कामयाबी का
चढता सूरज ढलते देखा ।
बुझ गया हो दीप न डरना
प्रयासों से फिर जलते देखा ।
हीरा पड़ा रह जाता कई बार
और खोटा सिक्का चलते देखा ।
जिनके मां बाप हो संसार मे
उनको अनाथों सा पलते देखा ।
जिसका नही कोई दुनिया मे
उनको उचांई पर चढते देखा ।
कभी किसी की दाल न गलती
कभी पत्थर तक पिघलते देखा ।
समय पडे जब काम न किया तो
खाली हाथों को मलते देखा ।
कुछ सर पर छत लेकर ना खुश हैं
कहीं जमीं पे सोने वालो को खुश देखा।
-कुसुम कोठारी।
बहुत बहुत सुंदर सकारात्मक सरिता प्रवाहित करती आपकी सारगर्भित रचना दी।
जवाब देंहटाएंआप हमेशा ही अर्थपूर्ण एवं प्रेरक लिखते रहे दी।
मेरी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ स्वीकार करें।
स्आनेह आभार श्वेता।
हटाएंआपकी सराहना सदा मिलती रहती है और आप सदा इतना आदर देते हो मन अभिभूत हुवा ।
आपकी शुभकामनाओं का पुनः आभार।
शुभ संध्या ।
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंजी बहुत सा आभार।
हटाएंशुभ संध्या ।
प्रथम तो यशोदा जी का आभार मेरी रचना को विविधा मे शामिल किया वैसे मे विविधा के बारे मे कुछ ज्यादा नही जानती बस पढती रहती हूं वहां आकर, सभी उम्दा उत्कृष्ट रचनाकारों का सुंदर संगम स्थल है, तो यहां मेरी रचना देख कर गौरान्वित अनुभव कल रही हूं।
जवाब देंहटाएंढेर सा आभार।
सभी सदस्यों को सादर अभिवादन।
अहा दाल न गलती पत्थर पिघलते देखा🙌🙌🙌 दी कमाल 😊😊
जवाब देंहटाएंजी आपका तहे दिल से शुक्रिया।
हटाएंअजनबी भाई।
शुभ संध्या ।
अत्यंत सारगर्भित रचना । बहुत भाई मुझे आपकी ये कविता...हर पंक्ति में एक सीख है ।
जवाब देंहटाएंमीना जी आपकी सराहना मिली सच बहुत अच्छा लगा, आप जैसे प्रबुद्ध रचनाकार अगर लेखन पसंद करे तो लिखना सार्थक हुवा।
हटाएंबहुत बहुत आभार।
शुभ संध्या।
बहुत बढ़िया दर्शन उकेरे हैं जिन्दगी के ------ एक से बढकर एक पंक्तियाँ --- सीख भी है संसार के अजब गजब चलन का आभास भी -----
जवाब देंहटाएंजी रेणूजी विसंगतियों से भरा है पुरा संसार का माया जाल।
हटाएंआपकी प्रतिपंक्तियां हर्षित कर गई।
ढेर सा आभार।
शुभ संध्या ।
आप की हर रचना बहुत अर्थपूर्ण होती है
जवाब देंहटाएंऔर जिस खूबसूरती से आप शब्दों का चुनाव करती है
वो रचना में चार चाँद लगा देती है
बहुत बहुत स्वागत विविधा परिवार में
दी ने आप की रचना को चुना
उनकी पसंद बेमिसाल है और
आप की लेखनी कमाल
नीतू जी शुक्रिया सखी आप सदा मान बढाते हो
हटाएंएक सहृदय मित्र और सहरचनाकारा से सम्मान पा मन खुश हुवा।
और यशोदा जी का तो कितना आभार व्यक्त करूं कम है हां मुझे भी वो बहुत सरल और महान व्यक्तित्व की धनी बड़ी बहन जैसे लगी।
और अगर उन की बेमिसाल पंसद मे मै सामिल हुई हो तो अहो भाग्य मेरा।
उनको भी पुनः आभार।
शुभ संध्या ।
बहुत ख़ूब ... दमदार शेर ...
जवाब देंहटाएंहर शेर साथ बयान करता है ... लाजवाब ...
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हटाएंजी आप जैसे वरिष्ठ सदस्य रचनाकारों से समर्थन मिलना मेरा सौभाग्य है। मार्ग दर्शन मिलता रहे।
हटाएंढेर सा आभार।
शुभ संध्या।
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंजी सादर आभार।
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