आज के जमाने की
कितनी बड़ी विडम्बना
है ये कि
एक कुत्ते को खरीदने
में पांच हजार रुपये खर्च कर
सकता है
इंसान और
उसे खिलाने में लगभग पांच
हजार खर्च कर
सकता है और अपनी
गाड़ी में बैठा कर
घूमाता भी है
जिससे की उसका
स्टेटस बढ़ता है
पर एक गरीब के बच्चे
को दो वक़्त की रोटी
खिलाने में
या पेट भरने में उसका
पैसा तथा स्टेटस दोनों ही
कम हो जाते हैं।
है ना
कितनी अजीब बात
और ऊपर से
ये भी कहना की हमें इन गरीब
बच्चों के लिए
कुछ तो करना चाहिए
ढोल के अंदर पोल ।
-पूनम श्रीवास्तव
कितनी बड़ी विडम्बना
है ये कि
एक कुत्ते को खरीदने
में पांच हजार रुपये खर्च कर
सकता है
इंसान और
उसे खिलाने में लगभग पांच
हजार खर्च कर
सकता है और अपनी
गाड़ी में बैठा कर
घूमाता भी है
जिससे की उसका
स्टेटस बढ़ता है
पर एक गरीब के बच्चे
को दो वक़्त की रोटी
खिलाने में
या पेट भरने में उसका
पैसा तथा स्टेटस दोनों ही
कम हो जाते हैं।
है ना
कितनी अजीब बात
और ऊपर से
ये भी कहना की हमें इन गरीब
बच्चों के लिए
कुछ तो करना चाहिए
ढोल के अंदर पोल ।
-पूनम श्रीवास्तव
सही कहा आपने ढोल की पोल है सब कुछ जो चल रहा है आंखें मूंद अनदेखी वाली बात है।
जवाब देंहटाएंसमय परक लेख सीधा सरल सत्य।
वाह!!सुंदर । सही कहा आपनेंपूनम जी ,यहाँ कथनी और करनी में बहुत फर्क है ....
जवाब देंहटाएंkya bat hai.....behad shandar rachna..
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा रचना हैं
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