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रविवार, 17 सितंबर 2017

भीड़ हमसे दूर जाती है....अज्ञात

जो मुहब्बत में दर्द पाते हैं
उनके दिल में खुदा आते हैं

सोचकर हम कुछ नहीं कहते
जो दिल में है, कह जाते हैं

भीड़ हमसे दूर जाती है
और हम तन्हा रह जाते हैं

चांद संग दो कदम चलकर
बीते दिन हमको याद आते हैं   
रचनाकारः अज्ञात 

5 टिप्‍पणियां:

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