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पूछिये मत यहां गमज़दा कौन है ।
पूछिये मुद्दतों से हँसा कौन है ।।
वो तग़ाफ़ुल में रस्में अदा कर गया ।
कुछ खबर ही नहीं लापता कौन है ।।
घर बुलाकर सनम ने बयां कर दिया ।
आप आ ही गये तो ख़फ़ा कौन है ।।
इस तरह कोई बदला है लहजा कहाँ ।
आपके साथ में रहनुमा कौन है ।।
आज तो बस सँवरने की हद हो गई ।
यह बता दीजिए आईना कौन है ।।
अश्क़ आंखों से छलका तो कहने लगे ।
ढल गई उम्र अब पूंछता कौन है ।।
यूँ भटकता रहा उम्र भर इश्क में ।
पूछता रह गया रास्ता कौन है ।।
मैंने ख़त में उसे जब ग़ज़ल लिख दिया ।
फिर सवालात थे ये लिखा कौन है ।।
दीजिये मत खुदा की कसम बेसबब ।
अब खुदा को यहां मानता कौन है ।।
है जरूरी तो घर तक चले आइये ।
आप क्या हैं इसे जानता कौन है ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
इस पटल पर आप ने मुझे स्थान दिया । हार्दिक आभार के साथ नमन ।
जवाब देंहटाएंहै जरूरी तो घर तक चले आइये ।
जवाब देंहटाएंआप क्या हैं इसे जानता कौन है ।।
बहुत बहुत शानदार त्रिपाठी जी। wahhhhhhhhh। बहुत ख़ूब
बहुत सुन्दर ..,
जवाब देंहटाएंलाज़वाब !
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