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शुक्रवार, 2 मार्च 2018

शब्द कहाँ से लाऊँ वो? ...........रचना सिंह

शब्द 
जो गले मे अटकते हैं 
शूल बनकर दिल को 
चुभते हैं

शब्द 
जो कलम से फिसलते हैं 
फाँस बनकर दूसरो को
लगते हैं

शब्द 
जो नहीं भरमाते हैं 
सबको पसंद नहीं 
आते हैं

शब्द 
जो मन भाते हैं 
सब को पसंद
आते हैं

शब्द 
जो मन भाते हैं 
वोही भरमाते हैं

शब्द
जो भावना की
स्याही से
लिखे जाते हैं
शीतलता दे जाते हैं

शब्द 
कहाँ से लाऊँ वो 
जो लाये तुमको
मिलाये हमको
-रचना सिंह

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (03-03-2017) को "खेलो रंग" (चर्चा अंक-2898) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    रंगों के पर्व होलीकोत्सव की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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