
जग में मेरा अस्तित्व
तेरी पहचान है मां
भगवान से पहले तू है
भगवान के बाद भी तू ही है मां
मेरे सारे अच्छे संस्कारों का
उद्गम है तू मां
पर मेरी हर बुराई की
मै खुद दाई हूं मां
तूने तो सद्गुणों ही दिये
ओ मेरी मां
इस स्वार्थी संसार ने
सब स्वार्थ सीखा दिये मां।
ओ मेरी मां।
-कुसुम कोठरी।