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सोमवार, 12 फ़रवरी 2018

तेरे प्रेम में, तेरी प्रीत में........अयान सुरोलिया


तेरी जुल्फों की छाँव में 
तेरी प्यार भरी निगाह में
तेरे हँसने में, तेरे रोने में
तेरा पल भर के लिए, मेरी बाहों में सोने में 
मैं जीवन पा लूँगा, सोचा न था।

तेरे प्रेम में, तेरी प्रीत में
तेरी हार में, तेरी जीत में
तेरी चहकती हुई वाणी के
मधुप्रिय संगीत मे
मैं जीवन पा लूँगा, सोचा न था।

तेरे हौले से मेरे गालों को चूमने में
तेरे डांटने में,तेरे छूने में
मेरे शीतरात्री जैसे, जीवन के सूने में
मैं जीवन पा लूँगा, सोचा न था।

तेरे प्यार से मेरे गालों को सहलाने में
तेरे रूख को परेशां करती, उन जुल्फों को हटाने में
तेरी मीठी सी शरारत में
तेरे आलिंगन की हरारत में
मैं जीवन पा लूँगा, सोचा न था।

हमारे प्रेम के प्रतीक,उन चादर की सिलवटों में
तुझसे लड़ने पर,उन बेचैन रातों की करवटों में,
तेरे होठों के ऊपर के तिल में
मेरे करीब आने पर, तेरे जोरों से धड़कते दिल में
मैं जीवन पा लूँगा, सोचा न था।

तुम साधना हो मेरी
तुम प्रीत हो मेरी
मेरी खोयी हुई नाव की साहिल हो तुम
मेरी इच्छाओ का अंत है,अगर हासिल हो तुम

न सोना हो तुम , ना ही हूर हो
तुम मेरा कोहिनूर हो
देखा है तुम्हे, छूआ है तुम्हे
महसूस भी किया है
फिर भी न जाने क्यू लगता है
तुम कल्पना हो मेरी।

जो जीवन पाया है तुमसे
जिसे ना सोचा था, ना जिसकी उम्मीद थी
उस जीवन की 
तुम प्रेरणा हो मेरी।

-अयान सुरोलिया

1 टिप्पणी:

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