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रविवार, 11 फ़रवरी 2018

"परमेश्वरा " (हाइकु ) ...कुसुम कोठारी

तमो वितान
तम हर, दे ज्योति
पालनहार।

निशा थी काली
भोर की फैला लाली
हे ज्योतिर्मय।

शंकित मन
शंका हर , दे वर
जगत पिता।

रुठा है भाग्य
शरण तेरी आये
वरद दे हस्त।

आया शरण
भव नाव डोलत 
परमेश्वरा ।

मंजिल भूले
राह नही सूझत
दे दिशा ज्ञान।

-कुसुम कोठारी 

6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !!! बहुत सुंदर रचना बहुत बहुत बधाई इस सुंदर सृजन का।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (12-02-2018) को "प्यार में महिलाएं पुरुषों से अधिक निडर होती हैं" (चर्चा अंक-2876) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

    जवाब देंहटाएं

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