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सोमवार, 25 दिसंबर 2017

नेह / ज्ञान .....डॉ. इन्दिरा गुप्ता


भौंचक रहा गये ज्ञानी ऊधौ 
बुद्धि लगी चकराने 
भोली ग्वालिन अनपढ़ जाहिल 
कैसो ज्ञान बखाने ! 

एक तमक कर बोली ग्वालिन 
क्या आये हो लेने 
मूल धन अक्रूर ले गये 
तुम क्या आये ब्याज के लाने ! 

कुब्जा के कहे आये हो तो 
इतनी बात समझ लो 
दूध दही मै फर्क ना जाने 
वाकी बातन पर का जानो ! 

हमरो मारग नेह को 
फूलन की सी क्यारी 
निर्गुण  कंटक बोय के 
काहे बर्बाद कर रहे यारी ! 

तुम तो ज्ञानी ध्यानी ऊधौ 
एक बात कहो साँची 
कहीँ सुनी नारी जोग लियो है 
का वेद पुराण ना बाँची ! 

जाओ अब और ना रुकना 
बात बिगड़ जायेगी 
कान्हा पे रिस आय रही है 
तुम पे उतर जायेगी ! 

एक तो इति दूर बैठे है 
ऊपर से ज्ञान बघारे 
निर्गुण -सगुण को भेद बतरावे
का हमें बावरी जाने ! 

नेह -ज्ञान से एक चुननो थो 
नेह भाव  चुन लीनो 
बीते उमरिया अब चाहे जैसी 
अब नहीँ पालो बदलनौ ! 

कहना जाके श्याम को 
तनि चिंतित ना  होय 
आनौ हो तो खुद ही आये 
और ना भेजे कोय ! 

डॉ. इन्दिरा गुप्ता ✍

5 टिप्‍पणियां:

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