माँ के रहने पर ही पत्थर पर असर होता है
झोपड़ी हो या क़िला तब कही घर होता है
तर बतर कोई दुआओं से अगर होता है
हर किसी के लिए वो शख्स शज़र होता है
तब्सिरा फूल नहीं करता कभी खुशबू का
इश्क एलान नहीं करता अगर होता है
गुल खिला होता तो फिर वाह निकलना तय थी
वाह तो मिलती ही है शेर अलग होता है
आसरा भी मिला और फल भी मिले खाने को
लगता है पेड़ो में देवो का बसर होता है
सुन्दर
जवाब देंहटाएंलाजवाब,शानदार
जवाब देंहटाएंमाँ से बेहतर कोई नहीं हो सकता
मन को छू गई आप की ग़ज़ल
राहों की मुश्किलो को
जवाब देंहटाएंहाथ मलते मैने देखा है
मेरी माँ की दुआये सदा
मेरे साथ चलती है !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (03-12-2017) को "दिसम्बर लाता है नया साल" (चर्चा अंक-2806) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब
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