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शनिवार, 2 दिसंबर 2017

हम दोनो है पूर्ण .....डॉ .इन्दिरा गुप्ता

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हम दोनों हैं
पूर्ण 
मगर फिर भी 
रीते से 
बहुत तुम्हे 
जाना पहचाना 
फिर भी 
अनचीन्हे से ! 

कभी कभी तो 
यू लगता है 
विस्मृति का
दौरा पड़ता है 
सब कुछ 
खाली खाली सा है 
नहीँ कहीँ कुछ
अपना सा है ! 

क्या हम 
फिर जी
पायेंगे 
एक दूजे से
मिल पायेंगे
टूटी फूटी 
सोचो को हम
कब तक 
सहलायेंगे ! 

चलो .....
एक प्रयास
और
कर डाले 
फिर मधुमय 
मधुरात्रि मना ले 
अपने मानस को 
जीवित कर 
अमृत घट
पिलवा दें ! 

डॉ .इन्दिरा गुप्ता ✍

4 टिप्‍पणियां:

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