ऐसे तुम मुझको बेरुख़ी से सताया न करो
बेवफ़ा कहके मुझे ऐसे रुलाया न करो
जब से बिछडे हो अश्क़ गिराती हैं मेरी आँखें
बर्बाद करके मुझको मुस्कुराया न करो
काँटों भरी हैं राहें और गहरी तन्हाई है
हँस हँस के मेरे को और बढ़या न करो
ज़िन्दगी की राह में कुछ और भी ग़म हैं
इक ख़ुशी थी प्यार की उसको घटाया न करो
नाम लिख कर मेरा किसी ख़त में अपने
बेदर्दी से तुम उसको मिटाया न करो
-कुसुम सिन्हा
सुंदर रचना ....👌
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बधाई
जवाब देंहटाएंजय श्री राधे
भ्रमर ५
सुन्दर
जवाब देंहटाएं:-)
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