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शनिवार, 25 नवंबर 2017

आ जाऊँगा मैं.......पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

इक अक्श हूँ, ख्यालों में ढल जाऊँगा मैं,
सोचोगे जब भी तुम, सामने नजरों के आ जाऊँगा मैं...

जब दरारें तन्हा लम्हों में आ जाए,
वक्त के कंटक समय की सेज पर बिछ जाएँ,
दुर्गम सी हो जाएँ जब मंजिल की राहें,
तुम आहें मत भरना, याद मुझे फिर कर लेना,
दरारें उन लम्हों के भरने को आ जाऊँगा मैं......

इक अक्श हूँ, ख्यालों में ढल जाऊँगा मैं,
सोचोगे जब भी तुम, सामने नजरों के आ जाऊँगा मैं...

जब लगने लगे मरघट सी ये तन्हाई,
एकाकीपन जीवन में जब लेती हो अंगड़ाई,
कटते ना हों जब मुश्किल से वो लम्हे,
तुम आँखे भींच लेना, याद मुझे फिर कर लेना,
एकाकीपन तन्हाई के हरने को आ जाऊँगा मैं.....

इक अक्श हूँ, ख्यालों में ढल जाऊँगा मैं,
सोचोगे जब भी तुम, सामने नजरों के आ जाऊँगा मैं...

भीग रही हो जब बोझिल सी पलकें,
विरह के आँसू बरबस आँचल पे आ ढलके,
हृदय कंपित हो जब गम में जोरों से,
तुम टूटकर न बिखरना, याद मुझे फिर कर लेना,
पलकों से मोती चुन लेने को आ जाऊँगा मैं,

इक अक्श हूँ, ख्यालों में ढल जाऊँगा मैं,
सोचोगे जब भी तुम, सामने नजरों के आ जाऊँगा मैं...

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

21 टिप्‍पणियां:

  1. इक अक्श हूँ, ख्यालो में ढल जाऊँगा मैं
    सोचोगे जब तुम, सामने नज़रों के आ जाऊँगा मैं
    ...बहुत ही खूबसूरत रचना है

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-11-2017) को "दूरबीन सोच वाले" (चर्चा अंक-2799) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह्ह्ह...बहुत सुंदर रचना आपकी
    भावों का समुंदर लहरा रहा हो मानो

    भीग रही हो जब बोझिल सी पलकें,
    विरह के आँसू बरबस आँचल पे आ ढलके,
    हृदय कंपित हो जब गम में जोरों से,
    तुम टूटकर न बिखरना, याद मुझे फिर कर लेना,
    पलकों से मोती चुन लेने को आ जाऊँगा मैं,

    बहुत ही लाज़वाब P.k ji

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 26 नवम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रेम और विश्वास की बहार लिए सुंदर रचना है ...
    इश्क़ कहीं नहि जाता ... रहता है आस पास हर उस पल में जब उसकी ज़रूरत हो ...

    जवाब देंहटाएं
  6. महिला रचनाकारों का योगदान हिंदी ब्लॉगिंग जगत में कितना महत्वपूर्ण है ? यह आपको तय करना है ! आपके विचार इन सशक्त रचनाकारों के लिए उतना ही महत्व रखते हैं जितना देश के लिए लोकतंत्रात्मक प्रणाली। आप सब का हृदय से स्वागत है इन महिला रचनाकारों के सृजनात्मक मेले में। सोमवार २७ नवंबर २०१७ को ''पांच लिंकों का आनंद'' परिवार आपको आमंत्रित करता है। ................. http://halchalwith5links.blogspot.com आपके प्रतीक्षा में ! "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  7. जब लगने लगे मरघट सी ये तन्हाई,
    एकाकीपन जीवन में जब लेती हो अंगड़ाई,
    कटते ना हों जब मुश्किल से वो लम्हे,
    तुम आँखे भींच लेना, याद मुझे फिर कर लेना,
    एकाकीपन तन्हाई के हरने को आ जाऊँगा मैं.....
    वाह!!!!
    अद्भुत... लाजवाब...
    प्रेम और विश्वास की आस पर खरी उतरतीबहुत ही बेहतरीन रचना...
    वाहवाह....

    जवाब देंहटाएं

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