अलहदा ठीक है, ख़त्म किस्सा करें।
ख़्वाब भर आहटें, रात भर करवटें
इक पहर भर कसम, आओ हिस्सा करें।
इंतज़ामात कुछ, कुछ ख़ुरानी करो
आओ दिल तोड़ लें, हाल ख़स्ता करें।
बांकपन मस्तियाँ, आशना छोड़ दो
थोप कर तोहमतें, ग़ार चस्पा करें।
चांदनी बेअदब, नूर कातिल हुआ
चाँद से दूरियां, रफ़्ता-रफ़्ता करें।
आसमाँ बन गये, तल्ख़ियों के धुंये
क्या मसीहा करें, क्या फ़रिश्ता करें।
सख्तियां नर्मियां, सारे टोने किये
और क्या बेशरम, दिल का नुस्ख़ा करें।
टूट-फूट जद्दोजहद से आगे बढ़ती हुई गजल यथार्थपरक हो गई है। बेहतरीन अभिव्यक्ति। बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ! हर एक शेर दिल में उतरता हुआ ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब रचना !!!!!!!!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह ! बेहतरीन ग़ज़ल ! हर शेर लाजवाब ! बहुत खूब
जवाब देंहटाएंवाह..
जवाब देंहटाएंसच में
बेहतरीन....
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंअमितजी, बस लाजबाब! लिखते रहिये।
जवाब देंहटाएंलाजवाब गजल...
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही खूबसूरत शेर ग़ज़ल के ...
जवाब देंहटाएंbahut hi acha likha hain. https://desibabu.in/
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