फ़ॉलोअर

शनिवार, 9 सितंबर 2017

दिल की बात....अमित 'मौलिक' जैन


जो बचा बाँट लें, तल्ख़ रिश्ता करें 
अलहदा ठीक है, ख़त्म किस्सा करें।

ख़्वाब भर आहटें, रात भर करवटें 
इक पहर भर कसम, आओ हिस्सा करें।

इंतज़ामात कुछ, कुछ ख़ुरानी करो 
आओ दिल तोड़ लें, हाल ख़स्ता करें।

बांकपन मस्तियाँ, आशना छोड़ दो 
थोप कर तोहमतें, ग़ार चस्पा करें।

चांदनी बेअदब, नूर कातिल हुआ 
चाँद से दूरियां, रफ़्ता-रफ़्ता करें।

आसमाँ बन गये, तल्ख़ियों के धुंये
क्या मसीहा करें, क्या फ़रिश्ता करें।

सख्तियां नर्मियां, सारे टोने किये 
और क्या बेशरम, दिल का नुस्ख़ा करें।

12 टिप्‍पणियां:

  1. टूट-फूट जद्दोजहद से आगे बढ़ती हुई गजल यथार्थपरक हो गई है। बेहतरीन अभिव्यक्ति। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूब ! हर एक शेर दिल में उतरता हुआ ।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ! बेहतरीन ग़ज़ल ! हर शेर लाजवाब ! बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  4. अमितजी, बस लाजबाब! लिखते रहिये।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह ... बहुत ही खूबसूरत शेर ग़ज़ल के ...

    जवाब देंहटाएं

14...बेताल पच्चीसी....चोर क्यों रोया

चोर क्यों रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?” अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक सा...