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गुरुवार, 7 सितंबर 2017

अहसास पहले खो गए....नीतू राठौर


आपसे बिछड़े तो इतने खो गए
हम थे किसके और किसमें खो गए।

आपकी तस्वीर क्यूँ दिखती नहीं
प्यार में दिल, दिल से मिलते खो गए।

क्यूँ पिरोया प्यार को बनकर मोती
बिखरें आँगन में जिसके खो गए।

ज़िन्दगी हमनें सँवारी थी तेरी
मंजिलें आई तो रस्ते खो गए।

आप हाथों की लकीरों में थी मगर
"नीतू" के अहसास पहले खो गए।
-नीतू राठौर

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।

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  2. युवामन की ज़द्दोज़हद से भरी अभिव्यक्ति। बधाई।

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  3. थोड़े ही शब्द बहुत कुछ बयान कर जाते हैं

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