आपसे बिछड़े तो इतने खो गए
हम थे किसके और किसमें खो गए।
आपकी तस्वीर क्यूँ दिखती नहीं
प्यार में दिल, दिल से मिलते खो गए।
क्यूँ पिरोया प्यार को बनकर मोती
बिखरें आँगन में जिसके खो गए।
ज़िन्दगी हमनें सँवारी थी तेरी
मंजिलें आई तो रस्ते खो गए।
आप हाथों की लकीरों में थी मगर
"नीतू" के अहसास पहले खो गए।
-नीतू राठौर
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंयुवामन की ज़द्दोज़हद से भरी अभिव्यक्ति। बधाई।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण!
जवाब देंहटाएंवाह... सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंथोड़े ही शब्द बहुत कुछ बयान कर जाते हैं
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण!
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