एक मधुर सुगंधित आहट।
आहट त्योहार की।
आहट रास, उल्लास और श्रृंगार की।
आहट आस्था, अध्यात्म
और उच्च आदर्शों के प्रतिस्थापन की।
एक मौसम विदा होता है और
सुंदर सुकोमल
फूलों की वादियों के बीच
खुल जाती है श्रृंखला
त्योहारों की।
श्रृंखला जो बिखेरती है
चारों तरफ खुशियों के
खूब सारे खिलते-खिलखिलाते रंग।
हर रंग में एक आस है,
विश्वास और अहसास है।
हर पर्व में संस्कृति है,
सुरूचि और सौंदर्य है।
ये पर्व न सिर्फ
कलात्मक अभिव्यक्ति
के परिचायक हैं,
अपितु इनमें गुंथी हैं,
सांस्कृतिक परंपराएं,
महानतम संदेश और
उच्चतम आदर्शों की
भव्य स्मृतियां।
इन सबके केंद्र में सुव्यक्त होती है
-शक्ति।
उस दिव्य शक्ति के बिना
किसी त्योहार,
किसी पर्व,
किसी रंग और
किसी उमंग की
कल्पना संभव नहीं है।
-स्मृति आदित्य
बहुत बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंजय माता दी🙏
सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसुंदर। वाह
जवाब देंहटाएं