ईद के मेले में
खिलौनों की दुकान तो थी
पर इस बार
मिट्टी का सिपाही
अपनी बंदूक के साथ गायब था
और मिट्टी का भिश्ती भी
अपनी मशक के साथ वहाँ नहीं था
लिहाज़ा दुकानदार
प्लास्टिक के नेता, बंदूक और तोप
लेकर हाज़िर था
हामिद के एक दोस्त ने
बंदूक खरीदी वह लादेन बनना चाहता था
और दूसरे ने नेता का पुतला खरीदा
वह प्रधानमंत्री बनना चाहता था
पर हामिद तो अभी तक
लोहे का चिमटा ढूँढ रहा था
ताकि उसकी बूढ़ी माँ की
काँपती उंगलियाँ
आग में न जलें
-मुकेश श्रीवास्तव
नही मिला चिमटा
जवाब देंहटाएंशुक्र है, हामिद अपनी माँ के साथ रहता है!
जवाब देंहटाएंशुक्र है!! आज भी किसी हामिद को माँ के हाथ जलने की फ़िक्र है -!!!!!!!!!!! ---------- बहुत मर्मस्पर्शी रचना ----------
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जवाब देंहटाएंतात्कालिक सन्दर्भों में "ईदगाह" का स्मरण। सुन्दर रचना। बधाई।