फ़ॉलोअर

बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

झुकना मत....निधि सिघल


जैसे ही डाक्टर ने कहा
झुकना मत।
अब और झुकने की
गुंजाइश नही...
सुनते ही उसे..
हँसी और रोना ,
एक साथ आ गया।

ज़िंदगी में पहली बार वह
किसी के मुँह से सुन रही थी
ये शब्द .....।।

बचपन से ही वह
घर के बड़े, बूढ़ों 
माता-पिता,
चाची, ताई,
फूफी,मौसी..
अड़ोस पड़ोस,
अलाने-फलाने,
और समाज से
यही सुनती आई है 
यही दिया गया है उसे घुट्टी में
झुकी रहना...।।

औरत के झुके रहने से ही
बनी रहती है गृहस्थी...
बने रहते हैं संबंध...
प्रेम..प्यार,
घर परिवार
ठीक ऐसे ही जैसे..
पृथ्वी अपने अक्षांश पर 
23.5 ० झुकी रहकर
शगति करती रहती है
बनते हैं जिससे दिन रात, 
बनती और बदलती हैं ऋतुएँ।

उसका झुकना बना
नींव घर और इतिहास की,
उसके झुकने पर बनी लोकोक्तियाँ और मुहावरे
और वह झांसे में आई।।

आदिमयुग से ही
झुकती गई.. झुकती गई
कि भूल ही गई
उसकी कोई रीढ भी है
और ये डॉक्टर कह रहा है
झुकना मत......
सठिया गया लगता है...।।

वह हैरत से देख रही है
डॉक्टर के चेहरे की ओर
और डॉक्टर उसे नादान समझ कर 
समझा रहा है
देखिए ...लगातार झुकने से 
आपकी रीढ़ की हड्डी में
गैप आ गया है।।

गैप समझती हैं ना आप?
रीढ़ की हड्डी छोटे छोटे छल्ले जैसी हड्डियां होती हैं 
लगातार झुकने से वो अपनी जगह से
खिसक जाती हैं 
और उनमें
खालीपन आ जाता है।।

डाक्टर बोले जा रहा है
और
वह सोच रही है...
बचपन से आज तक
क्या क्या खिसक गया
उसके जीवन से
बिना उसके जाने समझे....।।

उसका खिलंदड़ापन, अल्हड़पन
उसकी स्वच्छंदता, उसके सपने
उसका मन, उसकी चाहत..
इच्छा,अनिच्छा
सच
कितना कुछ खिसक गया जीवन से।।

डाक्टर उसे समझाये
जा रहा है
कि ज़िंदा रहने के लिये
अब ज़रूरी हो गया है..
रीढ सीधी रखें... 
और जाने कब ...
मन ही मन 
वह भी दोहराने लगी है.....
अब झुकना मत,
अब झुकना मत.....।।
-निधि सिंघल

4 टिप्‍पणियां:

  1. स्त्री की व्यथा पर बहुत ही सटीक एवं भावपूर्ण रचना..

    जवाब देंहटाएं
  2. अंतर वेदना हर नारी की, जिसे संस्कारी कह कर उस पर कितनी जिम्मेदारी के पहाड़ लाद दिये जाते है।
    संवेदनशील सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं

14...बेताल पच्चीसी....चोर क्यों रोया

चोर क्यों रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?” अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक सा...