अपना मुकाम
पाने के खातिर
हमने कई
मोल चुकाये है
रोज थोड़ी
मारी ज़िंदगी
तब हसरत
पूरी कर पाये है !
चोटों से हम
कब घबराते
ना जी को
भारी करते
पैरो से कब
चलते है हम
हम हौसलों से
उड़ान भरते ! !
डॉ. इन्दिरा गुप्ता ✍
चोर क्यों रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?” अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक सा...
बहुत सुंदर प्रेरक रचना प्रिय इन्दिरा जी।
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी का हर रंग अलहदा है।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-12-2017) को "प्यार नहीं व्यापार" (चर्चा अंक-2813) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
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