वो इक बिंदास सी लड़की
अधर पे हास सी लड़की
कोई सब हार दे जिस पर
विजय की आस सी लड़की
है वैरागी, कभी रागी
किशन के रास सी लड़की
चली है जीतने जग को
अटल विश्वास सी लड़की
खुले जो रोज़ परतों सी
नए एहसास सी लड़की
वो पहले प्यार के पहले
अजब आभास सी लड़की
खिलाए पुष्प आशा के
सदा मधुमास सी लड़की
अज़ान और आरती सी वो
किसी अरदास सी लड़की
लिए आशीष के अक्षत
लगे उपवास सी लड़की
कहीं 'आलोक' देखी है
वो तुमने ख़ास सी लड़की
-आलोक यादव
Bahut sunder
जवाब देंहटाएंJitni bar bhi padhe
Nai nai si lagti Hai
Khamoshi se dhire dhire
Bahut kuch kahti hai
सुन्दर !
जवाब देंहटाएंवाह..
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना पढ़वाई
आदर सहित
सुंदर सादर नमन
जवाब देंहटाएंसुंदर सादर नमन
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर......
जवाब देंहटाएंवाह!!!
बहुत ही सुन्दर......
जवाब देंहटाएंवाह!!!