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मंगलवार, 5 दिसंबर 2017

वो इक बिंदास सी लड़की.......आलोक यादव

वो इक बिंदास सी लड़की 
अधर पे हास सी लड़की

कोई सब हार दे जिस पर 
विजय की आस सी लड़की

है वैरागी, कभी रागी 
किशन के रास सी लड़की

चली है जीतने जग को 
अटल विश्वास सी लड़की

खुले जो रोज़ परतों सी 
नए एहसास सी लड़की

वो पहले प्यार के पहले 
अजब आभास सी लड़की

खिलाए पुष्प आशा के 
सदा मधुमास सी लड़की

अज़ान और आरती सी वो 
किसी अरदास सी लड़की

लिए आशीष के अक्षत 
लगे उपवास सी लड़की

कहीं 'आलोक' देखी है
वो तुमने ख़ास सी लड़की
-आलोक यादव

7 टिप्‍पणियां:

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