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मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017

दीपावली.... श्वेता सिन्हा

इतराई निशा पहनकर 
झिलमिल दीपक हार
आया है जगमग जगमग
यह दीपों का त्योहार

रंगोली सतरंग सुवासित
बने गेंदा चमेली बंदनवार
किलके बालवृंद घर आँगन
महकी खुशियाँ अपरम्पार

मिट जाये तम जीवन से
लक्ष्मी माँ दे दो वरदान
हर लूँ निर्धनता हर घर से
हर होंठ खिले मुस्कान

भर भरकर मुट्ठी तारों से 
भरना है बाड़ी बस्ती में
दिन का सूरज भी न पहुँचे
निकले चाँद भी कश्ती में

इस दीवाली बन जाऊँ दीया
फैलूँ प्रकाश बन सपनों की
विहसे मुख मलिन जब किलके
मैं साक्षी बनूँ उन अपनों की

   #श्वेता

4 टिप्‍पणियां:

  1. अति सुंदर। भावपूर्ण कलात्मक अभिव्यक्ति । बधाई।

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  2. सुंदर शब्द शिल्प से सजी रचना आदरणीय श्वेता बहन | दीपपर्व की पूर्व संध्या पर आपको मंगल कामनाएं प्रेषित करती हूँ | माँ सरस्वती आपकी लेखनी का प्रवाह बनाये रखे |

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  3. बहोतसुंदर शब्दांकन रचना..
    संग्रहित कर रहा हुं ||

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