बस थोड़ी देर और ये नज़ारा रहेगा,
कुछ पल और धूप का किनारा रहेगा।
कुछ पल और धूप का किनारा रहेगा।
हो जाएंंगे आकाश के कोर सुनहरे लाल,
परिंदों की ख़ामोशी शाम का इशारा रहेगा।
परिंदों की ख़ामोशी शाम का इशारा रहेगा।
ढले सूरज की परछाई में च़राग रौशन होंगे,
दिनभर के इंतज़ार का हिसाब सारा रहेगा।
दिनभर के इंतज़ार का हिसाब सारा रहेगा।
मुट्ठियों में बंद कुछ ख़्वाब थके से लौटेंगे,
शजर की ओट लिये एक चाँद आवारा रहेगा।
शजर की ओट लिये एक चाँद आवारा रहेगा।
अँधेरों की वादियों में तन्हाइयाँ महकती है,
सितारों के गांव में चेहरा बस तुम्हारा रहेगा।
सितारों के गांव में चेहरा बस तुम्हारा रहेगा।
शुभ संध्या....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल
आभार
सादर
वाह।
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंहर शेर बेहतरीन
बहुत ही नायाब ग़ज़ल
शुभ संध्या। सांझ बेला का मनोहरी जीवंत चित्रण। चित्र और शब्दों की बाजीगरी, स्वाभाविक प्रवाह और भाव सौंदर्य ग़ज़ल को उत्कृष्ट श्रेणी में लाकर खड़ा करते हैं। बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंढले सूरज की परछाई में च़राग रौशन होगे,
जवाब देंहटाएंदिनभर के इंतज़ार का हिसाब सारा रहेगा।
Wahhhhh। बहुत बहुत शानदार लाज़वाब ग़ज़ल। सधे काफ़िये, शानदार मतला, जानदार मकता, ख़ूबसूरत मिसरों से सजी संग्रह करने लायक रचना। क्या बात है।
बहुत खूबसूरती से शब्दों को ढाला है। एक-एक मिसरा लाजवाब है।
जवाब देंहटाएंइसी तरह आगे बढ़ती रहिये।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 27 सितंबर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहमेशा की तरह बहुत मनमोहक रचना है -- आदरणीय श्वेता जी --सस्नेह शुभकामना |
जवाब देंहटाएंसितारों के गांव में चेहरा बस तुम्हारा रहेगा।....... वाकई खुबसूरत!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना ।
जवाब देंहटाएंवाह ! हर शेर लाजवाब !! बेहतरीन प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
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