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शनिवार, 14 अक्टूबर 2017

सूरज डूबा दरिया में.......श्वेता सिन्हा

सूरज डूबा दरिया में हो गयी स्याह साँवलाई शाम।
मौन का घूँघट ओढ़े बैठी, दुल्हन-सी शरमाई शाम।।


थके पाँव पंछी भी लौटे,दीप सपन के आँख जले
बिटिया पूछे बाबा को,क्या झोली में भर लाई शाम।


छोड़ पुराने नये ख़्वाब  नयना भरने को आतुर  हैं,
पौंछ के काजल चाँदनी डाले थोड़ी-सी पगलाई शाम।


चुप है चंदा,चुप हैं तारे, वन के सारे पेड़ भी चुप हैं,
अंधेरे की ओढ़ चदरिया, लगता है पथराई शाम।


भर आँचल में जुगनू तारे बाँट दूँ मैं अंधेरों को 
भरूँ उजाला कण कण में,सोच-सोच मुस्काई शाम।


             #श्वेता🍁

11 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !
    बहुत सुंदर !
    साँवलाई ,श्वेताभ ,सिंदूरी शाम का मंज़र मोहक छटा बिखेरता हुआ हमें मंत्रमुग्ध कर देता है। प्रकृतिजन्य बिषयों में सृजन की गहराई माहिराना अंदाज़ में है।
    बधाई एवं शुभकामनाऐं।

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 15 अक्टूबर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. उतरा बाँका चाँद गगन में, अगरायी गदराई शाम.
    ओढ़े चूनर चटक चाँदनी, बिंदास बऊराई शाम!!!.... बहुत सुन्दर!!!!

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  4. थके पाँव पंछी भी लौटे,दीप सपन के आँख जले
    बिटिया पूछे बाबा को,क्या झोली में भर लाई शाम।

    Wahhhhh। बहुत ही सुंदर। बहुत मोहक रचना

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  5. भर आँगन में जुगनू तारे, बाँट दूँ मैं अंधेरे को
    भरूँ उजाला कण कण में, सोच सोच मुस्काई शाम
    वाह!!!
    लाजवाब .....

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  6. बहुत सुंदर ! उल्लेख करने के लिए कौनसी पंक्तिविशेष चुनूँ,समझ ही नहीं पा रही । पूरी कविता ही बहुत खूबसूरत है । बधाई ।

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  7. Bahot hi sunder rachna sham ka khubsurat varnan man ko chu lene wala hai,sham ko dekhne ke aap ke najariye ne mera najariya badal diya...adbhut

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  8. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (16-10-2017) को
    "नन्हें दीप जलायें हम" (चर्चा अंक 2759)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  9. क्या बात है श्वेता जी
    बहुत ही सुंदर

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