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शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2017

नाजुक सी मोहब्बत है.... मनोज सिंह”मन”

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नाजुक सी मोहब्बत है, दुश्मन ज़माना है,
ये जन्मों का रिश्ता है, पर सबसे छुपाना है,

क्या तेरी मज़बूरी है, क्यों तुम्हें जाना है,
ये शीशे सा दिल है, पल में बिखर जाना है,

यंहा दीवानों का बस, मैखाना में ठिकाना है,
खुमार मोहब्बत का, सबका उतर जाना है,

अभी सबके ओठों पे, एक हसीं तराना है,
फिर गीत जुदाई के, यंहा सबको गाना है,

बेजां हुआ है दिल, कातिल वो पहचाना है,
बिंदास शमा से, परवाने को जल जाना है,

क्यों दस्तूर मोहब्बत का, ये बहुत पुराना है,
आँखों के पानी को, अश्कों में बदल जाना है,

- मनोज सिंह”मन”


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