बारिश आई चलो नहाएं, 
इस बारिश में धूम मचाएं, 
काले बादल घनघोर घटाएँ, 
बारिश आई चलो नहाएं | 
अपने सखी सखा संग खेल, 
हम आनंद उठाएंगे, 
इस बारिश में डूब - डूब कर, 
गीत प्यार का गाएंगे, 
मज़ा लें इसका सारे बच्चे, 
आओ उन्हें बुलाएं, 
काले बादल घनघोर घटाएँ, 
बारिश आई चलो नहाएं | 
देखो - देखो कितने पक्षी, 
होकर गीला आए हैं, 
मस्ती में ये झूम रहे हैं, 
लगता ख़ूब नहाए हैं, 
हम भी इनसे कम नहीं हैं, 
आओ इन्हें दिखाएं, 
काले बादल घनघोर घटाएँ, 
बारिश आई चलो नहाएं | 
बारिश में नहाने के बाद, 
साफ पानी से नहाओ, 
करके अपनी मस्ती पूरी, 
घर पर लौट आओ, 
मार ना हमको कर डालें, 
जो ठंडी चलें हवाएं, 
काले बादल घनघोर घटाएँ, 
बारिश आई चलो नहाए | 


 
 
 
 
 
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (25-06-2019) को "बादल करते शोर" (चर्चा अंक- 3377) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत सुंदर भाव प्रवाह सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर...
जवाब देंहटाएंवाह!!!!