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बुधवार, 1 अगस्त 2018

कभी नही भुला सकते ए माहज़बीन

आज मीना कुमारी जी की पिच्चासवीं जयन्ती
उनको शत-शत नमन

'तुम क्या करोगे सुनकर मुझसे मेरी कहानी,
बे लुत्फ जिंदगी के किस्से हैं फीके-फीके'

एक छोटा सा ज़िक्र फिर एक गीत

बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा मीना कुमारी की आज 85वीं जयंती मनाई जा रही है. वह फिल्मी दुनिया में मीना कुमारी के नाम से पहचान बना चुकीं थी, लेकिन उनका असली नाम महजबीन बेगम था. उनका जन्म 1 अगस्त 1932 को हुआ था. हिन्दी सिनेमा के पर्दे पर दिखी अब तक की सबसे दमदार अभिनेत्रियों में मीना कुमारी का नाम भी आता है. अपने 30 साल के पूरे फिल्मी सफर में मीना कुमारी ने 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. उनकी फिल्मों को आज क्लासिक की श्रेणी में रखा जाता है और कई फिल्मों को तो आज भी उनके प्रशंसक श्रद्धाभाव से देखते हैं. मीना कुमारी को दुखियारी महिला के किरदार काफी करने को मिले, उन्हें फिल्मों में रोते हुए देखकर उनके प्रशंसकों की आंखों में भी आंसू निकल आते थे. शायद यही कारण था कि मीना कुमारी को हिन्दी सिनेमा जगत की 'ट्रेजडी क्वीन' के नाम से पहचाना जाने लगा.

उनकी व्यक्तिगत जिंदगी में भी दुख कम नहीं थे और जन्म से लेकर मृत्यु तक उन्होंने हर पल गमों का सामना किया. इसलिए उनपर 'ट्रेजडी क्वीन' का यह टैग बिल्कुल सही भी लगता था. उनके दुखों को उनकी ये पंक्तियां बखूबी बयां करती हैं.

अब बस आज आप दिन भर पढ़ेंगे...
चलते-चलते ये गीत सुनिए

3 टिप्‍पणियां:

  1. मीना कुमारी जी को 85 वीं वर्षगांठ पर हार्दिक श्रध्दांजलि। वे सिर्फ एक उत्कृष्ट अदाकारा ही नही उच्च कोटि की शायर भी थी उनकी शायरी सीधे दिल पर असर करती दर्द से सरोबार है।

    अभिनेत्री मीना कुमारी द्वारा लिखी गजल ।


    हाँ, कोई और होगा तूने जो देखा होगा 
    हम नहीं आग से बच-बचके गुज़रने वाले 

    न इन्तज़ार, न आहट, न तमन्ना, न उमीद 
    ज़िन्दगी है कि यूँ बेहिस हुई जाती है 

    इतना कह कर बीत गई हर ठंडी भीगी रात 
    सुखके लम्हे, दुख के साथी, तेरे ख़ाली हाथ

    हाँ, बात कुछ और थी, कुछ और ही बात हो गई 
    और आँख ही आँख में तमाम रात हो गई 

    कई उलझे हुए ख़यालात का मजमा है यह मेरा वुजूद 
    कभी वफ़ा से शिकायत कभी वफ़ा मौजूद 

    जिन्दगी आँख से टपका हुआ बेरंग कतरा 
    तेरे दामन की पनाह पाता तो आंसु होता

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  2. बेहतरीन अदाकारा और शायरा मीना कुमारी जी उर्फ महजबी के जन्म दिन की सबको बधाई !
    मीना जी चलचित्र ही नहीं असली जीवनमें भी ट्रेजडी कुइन ही रही ...जिसकी झलक उनकी गजलों में बखूबी मिलती है !
    प्यार और जीवन में उन्हें सदा दूसरों और अपनों ने छला ! यहां तक की मरते समय एक नामचीन अभिनेत्री और एक नामी फिल्म मेकर कमाल अमरोही की पत्नी का निधन तन्हाई मैं ही हो गया !
    टुकड़े टुकड़े दिन बीता धज्जी धज्जी रात गई
    जिसका जितना आँचल था उतनी ही सौगात मिली !
    उनकी लिखी मशहूर गजल की लाइनें अपने आप मैं उनकी सोच का मुकम्मल आईना है !

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरुवार (02-08-2018) को "गमे-पिन्हाँ में मैं हस्ती मिटा के बैठा हूँ" (चर्चा अंक-3051) पर भी है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं

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