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शनिवार, 6 जनवरी 2018

तुम्हारे प्यार में.....अनीता लागुरी (अनु)


तुम्हारे प्यार में.....
हां तुम्हारे प्यार में डूबा मैं
उस चांद से पूछ बैठता हूँ
क्या तुम्हें नींद नहीं आती
यों  टकटकी लगाए,
क्या देखते हो
या रातों को जागने की 
आदत हो  गई
मेरी  तरह..?
या तुम भी कर बैठे प्यार किसी से?
क्या करुं
सर्दी में मुँह से निकलते धुंए को
हवाओं में उड़ाता चला हूँ मैं 
जानता हूँ मैं 
ये  धुआँ नहीं भ्रम है  मेरा
पर फिर भी इस दिल को 
समझाऊँ  कैसे
जो तुम्हारे न होने के अहसास को
पुख़्ता  सबूत बनाता है
जो मेरे  क़दमों को थाम 
आगे बढ़ने से रोक देता है
हाँ सिर्फ़  तुम्हारे प्यार में
बावरा बन.. घूम आता  हूँ
गलियों में , चौराहों पर ...
तो कभी यादों की पगडंडियों पर
थामे हाथ तुम्हारा चल पड़ता  हूँ
उस अनंत क्षितिज की ओर
उस लाल रक्तिम आभा से युक्त
सूरज को छूने
तो कभी तुम्हारी धड़कनों की
धक-धक को सुन उसकी लय में
ख़ुद  को तलाशता
अंजाने ही अर्थविहीन चल पड़ता हूँ
तो कभी छत पर सूखता 
तुम्हारा वो नीला-नारंगी दुपट्टा अलबेला
और उससे आती तुम्हारे बदन की वो ख़ुशबू ...!
उसे ढूंढ़ता  न जाने कहां चल पड़ता हूँ  मैं
हां तुम्हारे प्यार में.!
न जाने क्यों
पाबंदियां की परिभाषा भूल गया हूँ
मौसम के चढ़ने-उतरने का 
राग भूल गया हूँ
नभ में उड़ते पंछियों की आज़ादी
भूल गया हूँ मैं 
हाँ  तुम्हारे प्यार में
सुर्ख़ मख़मली एहसासों की नुमाइश कर चला हूँ
समेट लो अपने बाहों में.....
वरना ....न जाने क्या से क्या चला हूँ  मैं...!!!
-अनीता लागुरी (अनु)

6 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार बोलती रचना।
    साहिर साहब की दो पंक्तियां याद दिला रही है

    "हर चीज जमाने की जहां पर थी वहीं है...
    नज़रे भी वही नजारे भी वही है
    खामोश फिजाओं के इशारे भी वही है
    कहने को तो सब कुछ है, मगर कुछ भी नही है"
    शानदार उम्दा।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद कुसुम दी, आपकी स्नेहमय प्रतिक्रिया हेतु आभार व्यक्त करती हुं,और साथ ही साहिर साहब की पंक्तियां आपने सुनाई ये मेरे लिए हर्ष की बात है... हमेशा आशीष स्नेह बनाएं रखें।

      हटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (07-01-2018) को "हाथों में पिस्तौल" (चर्चा अंक-2841) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी आभार आपका आदरणीय, इस सम्मान हेतु....आप सभी की वजह से ब्लाग जगत से अवगत हो पा रही हुं ये मेरे लिए हर्ष की बात है..एक और बार बार आपका धन्यवाद कि आपने मेरी रचना को स्थान दिया धन्यवाद।

      हटाएं

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