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शनिवार, 13 जनवरी 2018

कुछ देर गर्माहट का एहसास.....कुसुम कोठारी


अच्छा लगता है ना, जाड़े में अलाव सेंकना
खुले आसमान के नीचे बैठ सर्दियों से लड़ना
हां कुछ देर गर्माहट का एहसास
तन मन को अच्छा ही लगता है
पर उस अलाव का क्या
जो धधकता रहता हर मौसम 
अंदर कहीं गहरे झुलसते रहते जज्बात
बेबसी,बेकसी और भूखे पेट की भट्टी का अलाव 
गर्मियों में सूरज सा जलाता अलाव
धधक धधक खदबदाता 
बरसात मे सीलन लिये धुंवा धुंवा अलाव
बाहर बरसता सावन, अंदर सुलगता 
पतझर मे आशाओं के झरते पत्तों का अलाव
उडा ले जाता कहीं उजडती अमराइयों मे
सर्दी मे सुकून भरा गहरे तक छलता अलाव।
-कुसुम कोठारी

15 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-01-2018) को "मकर संक्रंति " (चर्चा अंक-2848) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हर्षोंल्लास के पर्व लोहड़ी और मकर संक्रान्ति की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. अंतर्मन के अलाव में खुद ही धधकना होता है
    बहुत सही

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्तर
    1. जी आपका बहुत सा आभार रचना के अंतर तक पहुंच कर प्रतिक्रिया का।

      हटाएं
  4. "अलाव" बिषय आधारित रचनाओं का प्रकाशन सोमवार 15 जनवरी 2018 को किया जा रहा है जिसमें आपकी रचना भी सम्मिलित है . आपकी सक्रिय भागीदारी के लिये हम शुक्रगुज़ार हैं. साथ बनाये रखिये.
    कृपया चर्चा हेतु ब्लॉग "पाँच लिंकों का आनन्द" ( http://halchalwith5links.blogspot.in) अवश्य पर आइयेगा. आप सादर आमंत्रित हैं. सधन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी सादर आभार मेरी रचना को चुनने के लिये और विस्तृत जानकारी के लिये।

      हटाएं
  5. अंतर्मन की सुंंदर अभिव्यक्ति ..

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह्ह्ह...दी बहुत सुंदर लिखा आपने
    जीवन एक अलाव से कम नहीं
    शुरु में धीमा जलता
    मासूम बचपने सा सुकून देता
    फिर तेजी से दहकता है
    पूरी जवानी के जोश सा
    फिर धीरे धीरे कम हो जाता है
    बढ़ते बुढ़ापे की ओर हो जैसे
    और अंत में बुझ जाता है
    बच जाती है राख़ मुट्टीभर
    अनंत सागर में प्रवाहित होने को।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. श्वेता आपकी गर्म जोशी वाली सराहना और जीवन अलाव का विस्तृत वर्णन मेरी रचना को स्पष्ट करती।
      स्नेह आभार।

      हटाएं

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