लिखी जाती है कविता...
किसी कवि की कलम से...
उतरती है सियाही कागज पर..
पूरी होती जब वो कविता...
पढ़ता है कवि उसे और
उस बदनसीब कागज को
फेंक देता है..
बनाकर लड्डू जैसा गोल,,,,
सोचता है कुछ
फिर उठाकर उस
लड्डू को...
खोलकर एतिहात से...
पढ़ता है
पुनः और पुनः ....
उतारता है उस कविता को...
कागज एक नया लेकर..
फिर लिखता है कुछ...
चेहरे पर उसके
मुस्कान एक
छोटी सी आती है....
सहेज लेता है उसे..
सोचता है...
तसल्ली है उसे..
पूरी हो गई ये कविता..
नहीं है परवाह उसे...
कि क्या सोचेगा..
पढ़ने वाला उस
कविता को...उसे
इस बात की...
कतई नहीं है चिन्ता
क्योंकि जानता है वह
कि यह कविता उसने
लिखी ही है...
अपने आप के लिए..
-यशोदा
वाह क्या बात है।
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह...दी अति सुंदर क्या कहने आपकी कलम भी क्या खूब चली....कमाल का सधा हुआ सृजन है दी।
जवाब देंहटाएंएक कवि के मन के भावों को सुंदरता से शब्द दिये है दी।👌👌👌
बहोत बढ़िया,
जवाब देंहटाएंसूंदर शब्द रचना और उत्तम भाव
मन को छूटा एक एक शब्द
बहोत खूब
वाह सुंदरतम रचना रच गई यूं पन्नों मे उलझ उलझ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंआभार
वाह !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
कवि के मनोभाव और कश्मकश को बख़ूबी उकेरा है आपने आदरणीया बहन जी। ऐसा लगा इसे पढ़कर जैसे कवि कह रहा हो कि आपने मेरी बात लिख दी हो। कविता को बार-बार मांजने वाले ऐसा करते हैं और स्वयं संतुष्ट होने पर सामने लाते हैं। आपको अब इस ओर भी अपना योगदान बढ़ाना चाहिए। बधाई एवं शुभकामनाऐं।
आदरणीय यशोदा दीदी -- प बहुत ही सुंदर भाव पिरोये और अद्भुत निष्कर्ष निकाला आपने | कविता वही जो सबसे पहले रचियता का अंतर्मन आनंद से भर दे | सादर -सस्नेह अनेकानेक शुभकामनायें आपको |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसारे कवियों के साथ ये कभी ना कभी तो होता ही है....सबके मन की बात लिख दी आपने तो!!!!
जवाब देंहटाएंसादर ।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 3 नवंबर 2017 को साझा की गई है..................http://halchalwith5links.blogspot.comपर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत ही सुंदर। कवि मन की मनःस्थिति को भली भांति साकार करती मोहक रचना। आनंद आया
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब.....
जवाब देंहटाएंमन के भावों को कागज पर समेटकर अपने सृजन पर वाकई मुस्कुराता होगा हर कवि .....
सबके मन की बात बहुत ही खूबसूरती से आपकी कलम के साथ......
वाह!!!!!
सत्य कहा आपने। कवि के मन को क्या ख़ूब टटोला है मैंने भी इस कविता को कई बार पढ़ी ,पुनः-पुनः पढ़ी, तब समझ आया ये कवि मन का ही दर्पण है। बहुत सुन्दर व सार्थक प्रयास दीदी
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