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मंगलवार, 30 जनवरी 2018

खत पुराना कोई खुला होगा....काशी नाथ त्रिपाठी

दिल में यादों का बुलबुला होगा
खत पुराना कोई खुला होगा

जब मिले होंगे नये दो दिल तो
प्यार का सिलसिला चला होगा

जिन्दगी की उदास राहों में
उनके जैसा कोई मिला होगा

आँख उनकी जो नम हुई होगी
कुछ कहीं बर्फ सा पिघला होगा

उनके एहसास ये बताते हैं
जुस्तजू में कोई जला होगा

अब तो संजीदा हो गए "काशी"
दर्द दिल में कोई पला होगा
-काशीनाथ त्रिपाठी

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