फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017

ये अश्क आख़री है.......बदरूल अहमद

मोहब्बत का मेरा यह सफर आख़िरी है
ये कागज, ये कलम, ये गजल आख़िरी है

फिर ना मिलेंगे अब तुमसे हम कभी
ये मिलना, ये बिछड़ना, ये अश्क आख़री है

मोहब्बत का मेरा यह सफर आख़री है
ऐ मुसाफिर जाने से पहले सुन तो ज़रा

अपनी हाथों से मुझे दफना जाना जरूर
मेरी ख्वाहिशाें का ये मुन्तबर आख़री है

फिर ना मिलेंगे अब तुमसे हम कभी
क्योंकि तेरे दर्द का अब ये सितम आख़िरी है।

मोहब्बत का मेरा यह सफर आख़री है
ये कागज, ये कलम, ये गजल आख़री है

-बदरूल अहमद... ✍️

2 टिप्‍पणियां:

14...बेताल पच्चीसी....चोर क्यों रोया

चोर क्यों रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?” अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक सा...