कोमल सर्दी की गुलाबी ठिठुरन में
नर्म शॉल के गर्म एहसास को लपेटे
तुम्हारी नीली छुअन
याद आती है,
याद
जो बर्फीली हवा के
तेज झोंकों के साथ
तुम्हें मेरे पास लाती है,
तुम नहीं हो सकते मेरे
यह कड़वा आभास
बार-बार भुला जाती है,
जनवरी की शबाब पर चढ़ी ठंड
कितना कुछ लाती है
बस, एक तुम्हारे सिवा,
तुम जो बस दर्द ही दर्द हो
कभी ना बन सके दवा,
नहीं जान सके
तुम्हारे लिए
मैंने कितना कुछ सहा,
फिर भी कुछ नहीं कहा...
वाह्ह्...बेहद खूबसूरत👌
जवाब देंहटाएंठंडी हवाओं में प्रेम का कोमाल अहसास कराती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबधाई
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंप्रेम जहाँ मिलन है वहाँ जुदाई भी है ... दोनों के एहसास को जीना होता है ... भावपूर्ण लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंतु नहीं हो सकते मेरे
यह कड़वा एहसास....
वाह!!!!
ठंड की गर्मीली रचना
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत
बधाई
सादर
सबका आभार
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