रिश्ते बाँधे नहीं जा सकते
बस छुये जा सकते है
नेह के मोहक एहसासों से
स्पर्श किये जा सकते है
शब्दों के कोमल उद्गारों से
रिश्ते दरख्त नहीं होते है
लताएँ होती है जिन्हें
सहारा चाहिए होता है
भरोसे के सबल खूँटों का
जिस पर वो निश्चिंत होकर
पसर सके मनचाहे आकार में
रिश्ते तुलसी के बिरवे सरीखे है
जिन्हे प्यार और सम्मान
के जल से सींचना होता है
तभी पत्तों से झरते है आशीष
चुभते काँटों से चंद बातों को
अनदेखा करने से ही
खिलते है महकते रिश्तों के गुलाब
सुवासित करते है घर आँगन
बाती बन कर रिश्तों के दीये में
जलना पड़ता है अस्तित्व भूल कर
तभी प्रकाश स्नेह का दिपदिपाता है
रिश्ते ज़बान की तलवार से नहीं
महीन भावों के सूई से जोड़े जाते है
जिससे अटूट बंधन बनता है
पूजा के मौली जैसे ,
रिश्ते हवा या जल की तरह
बस तन को जीवित रखने के
नहीं होते है,
रिश्ते मन होते है जिससे
जीवन का एहसास होता है।
#श्वेता🍁
शब्दों के कोमल उद्गारों से बहुत सुंदर शब्द सरिता..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
हृदयस्पर्शी एहसास से सराबोर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा
रिश्ते मन होते हैं जिनसे जीवन का एहसास होता है ।
जवाब देंहटाएंरिश्ते ज़बान की तलवार से नहीं
जवाब देंहटाएंमहीन भावों के सूई से जोड़े जाते है
बेहतरीन कविता
साधुवाद
सादर
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंरिश्ते तुलसी के बिरवे सरीखे है
जवाब देंहटाएंजिन्हे प्यार और सम्मान
के जल से सींचना होता है......
👌
अप्रतिम बेमिसाल श्वेता खूबसूरती से रिश्तों की नजाकत और
जवाब देंहटाएंतासीर वर्णनकी आपने अपनु एक पुरानी रचना याद आ गई टूटी नाव को भी साहिल तक पहुंचाया
पता था कि तैर कर पार हो जायेंगे
पर उस यादों की गठरी की थी परवाह
जिसको संभाल लेजाना था उस पार
गर भीग जाती तो भीगते कुछ अहसास
पानी मे बिखर जाते कुछ ख्वाब
फैल जाती यादों की स्याही
डूब जाती कुछ परछाईयां
टूटते कुछ हल्के होते अक्श
खो जाती उम्मीदें
पूरा जोर लगा दिया
उसे पार लगा दिया
सुनहरे रिश्तों को फिर सजा दिया। ।
कुसुम जी,
हटाएंसुंदर वर्णन।
रिश्ते दरख्त नहीं होते है
जवाब देंहटाएंलताएँ होती है जिन्हें
सहारा चाहिए होता है..
बहूत बहुत ख़ूबसूरत बहुत बहुत अलहदा। रिश्तों की खुश्बू बिखेरती रचना।
रिश्तों की इतनी सुंदर व्याख्या यदा कदा ही पढ़ने को मिलती है । पठनीय और सहेजने योग्य सुंदर रचना....आपकी कलम बस यूँ ही मोती बिखेरती रहे। शुभेच्छा ।
जवाब देंहटाएंवाह! श्वेता जी,
जवाब देंहटाएंबड़े नजाकत से नाजुक विषय को सँजोया है आपने.
बधाई स्वीकारें.
सादर,
अयंगर
Rishton mein hai ye sansar
जवाब देंहटाएंmagar ye maqul nahi hain
Khushbu se bhare hain ye man
kahte hain sab, ye ful nahin hain
Apne shabdon se kya khub rishta nibhaya
Hum sabko apka deewana banaya
Shweta ji khubsurat piroya hai har shabd apne.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (10-11-2017) को
जवाब देंहटाएं"धड़कनों को धड़कने का ये बहाना हो गया" (चर्चा अंक 2784)
पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रोष्टों के विविध रूप अलग नाम होते हैं ... पर रिश्ते सांस लेते हुए हों तो दिल को अच्छे लगते हैं ...
जवाब देंहटाएंअप्रतिम, बेमिसाल,बेहतरीन कविता
जवाब देंहटाएंअत्यंत सराहनीय व्यापक स्पष्ट परिभाषा रिश्तों की। आपकी विश्लेषणात्मक क्षमता का बख़ूबी प्रदर्शन करती है यह रचना। बधाई एवं शुभकामनाऐं।
जवाब देंहटाएं