सुख सुहाग
माथे धरे
गोरी हिय
सुख पाय
प्रिय हाथ सिंदूर है
ले सौगन्ध मांग
भरी जाय !
सुख सुहाग की
लाली
प्रियतमा
सदा सवारें रखना
जीवन संगिनी
जीवन पथ पर
स्नेह भाव लिये
संग चलना !
वचन बध्यता
रखेगे कायम
मिल कर वचन
निभाये
सिंदूर लालिमा
जीवन पथ पर
मिल कर हम
बिखराये !
एक युग्म
हम दोनो होंगे
सुख सौभाग्य
रचेंगे
सुन अर्धांगिनी
अपने जीवन को
शुचि, यश
गौरव से
भर देगे !
डॉ .इंदिरा गुप्ता ✍
वाह !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सूंदर रचना
जितनी ख़ूबसूरती से आप मन के भाव कागज पर लाती है
पढ़ने वाले का मन खुश हो जाता है
जर्रा नवाजी नीतू जी ..ऐसी प्रतिक्रियाये लेखन को और प्रवाह देती है आभार 🙏
हटाएंअत्यंत सुन्दर भावनायें ! बधाई
जवाब देंहटाएंवाह मीता सुंदर सुंदर अतिसुन्दर।
जवाब देंहटाएंसात फेरे वचन और सिंदूर एक भारतीय विवाहिता के लिये पुरे जीवन का शाश्वत वरदान है सुख है त्याग है तपस्या है और है नव जीवन का आगाज।
शुभ दिवस ।
शुक्रिया मीता काव्य की आत्मा को छूने का !
हटाएंसुख सौभाग्य रचेंगे .... उम्दा सृजन
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएं🙏आभार यशोदा दी
जवाब देंहटाएं🙏आभार
जवाब देंहटाएंमेरे साधरण काव्य को मान देने के लिये अति आभार 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर मनभावन प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंवाह!!!!
एक युग्म
जवाब देंहटाएंहम दोनो होंगे
सुख सौभाग्य
रचेंगे
--- बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर सृजन. वाह
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