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मंगलवार, 24 अक्टूबर 2017

जबे बेटी फुदुकते आ.. सटावे गाल से गाले .....सौरभ

भोजपुरी में लिखी गई एक ग़ज़ल
फलनवा बन गइल मुखिया रङाइल गोड़ माथा ले   
बनल खेला बिगाड़े के.. चिलनवा ठाढ़ लाठा ले   

बड़ा अउलाह झामा-झम भइल बरखा सनूखी में  
दलानी से चुल्हानी ले अशरफी लूटु छाता ले !    

सियासत के बगइचा में तनी मवका भेंटाए तऽ  
जे बकरी पात पऽ निखुराह.. ऊहे गाँछ ले खाले    

भले कतनो पड़ऽ गोड़े निहुरि करि दऽ कमानी देहि   
नजर में तूँ अगर नइखऽ गुनाहे बा रहल पाले    

फजीरे रोज ऊ आसा-भरोसा में निकल जाला  
किरिन डूबत पलट जाला पिराते देहि-माथा ले   

चलन आखिर भला काहें रहल संसार के, कहियो -   
बथाने नेह पोसल गाय पगहा तूरि चल जाले   

बुझा जाला तुरंते भाव ’सौरभ’ बाप के का हऽ     
जबे बेटी फुदुकते आ.. सटावे गाल से गाले   
-सौरभ
भोजपुरी शब्दों के अर्थ हिन्दी में....
फलनवा - कोई ; रङाइल - रंगा हुआ ; गोड़ - पैर,  
चिलनवा - कोई, (संदर्भ-फलाना-चिलाना) ; ठाढ़ - खड़ा ; 
लाठा - बड़ी लाठी, अउलाह - अधिक ; सनूखी - सन्दुक 
दलानी - दालान, चुल्हानी - रसोईघर, बगइचा - बाग़ीचा ; 
निखुराह - आनाकानी करने वाला ; गाँछ - पेड़
निहुरि - झुक कर ; देहि - देह, नइखऽ - नहीं हो ; 
गुनाहे बा - ग़ुनाह ही है, फ़जीरे - सुबह , किरिन डूबत - साँझ होते ; पिराते - बुरी तरह पीड़ा में, काहें - क्यों ; रहल - रहा है/रही है ; कहियो - कभी, बथाने - गाय आदि का स्थान ; पोसल - पाली हुई ; पगहा - डोर ; बुझा जाला - मालूम हो जाता है, फुदुकते - उछलती-किलकती ; सटावे - सटाती है ; गाले - गाल को

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (25-10-2017) को
    "प्रीत के विमान पर, सम्पदा सवार है" (चर्चा अंक 2768)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. वाह !
    बहुत ख़ूब !
    भोजपुरी शब्दों से परिचित कराती सुंदर रचना। स्थानीय शब्दों में रची -बसी आत्मीयता का कोई नहीं सानी।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह्ह्ह....बहीत सुंदर भोजपुरी की मिठास रस घोल गयी।

    जवाब देंहटाएं
  4. बुझा जाला तुरंते भाव ’सौरभ’ बाप के का हऽ
    जबे बेटी फुदुकते आ.. सटावे गाल से गाले
    ...वाह ! बहुत ख़ूब !

    जवाब देंहटाएं

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