तन्हाई में बिखरी खुशबू-ए-हिना तेरी है।
वीरान खामोशियों से आती सदा तेरी है।।
अश्क के कतरों से भरता गया दामन मेरा।
फिर भी खुशियों की माँग रहे दुआ तेरी है।।
अच्छा बहाना बनाया हमसे दूर जाने का।
टूट गये हम यूँ ही या काँच सी वफा तेरी है।।
सुकून बेचकर ग़म खरीद लाये है तुमसे।
लगाया था बाज़ार इश्क का ख़ता तेरी है।।
वक्त की शाख से टूट रहे है यादों के पत्ते।
मौसम ख़िज़ाँ नहीं बेरूखी की हवा तेरी है।।
#श्वेता🍁
शुभ संध्या श्वेता बहन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल
वक्त की शाख से
टूट रहे है
यादों के पत्ते।
उम्दा...
बहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब !
कोमल एहसासों की महक से खिली हुई ख़ूबसूरत गुलाब-सी ग़ज़ल। कमाल की प्रवाहमयी शैली है ग़ज़ल कहने की।
बधाई एवं शुभकामनाऐं।
जवाब देंहटाएंसुकून बेचकर ग़म खरीद लाये है तुमसे।
लगाया था बाज़ार इश्क का ख़ता तेरी है।--------
क्या बात है !!!!!!!!!!! लाजवाब पंक्तियाँ -आदरणीय श्वेता बहन -- सस्नेह शुभकामना आपको |
बेहतरीन ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंअच्छा बहाना बनाया हमसे
दूर जाने का
लाजवाब पंक्तियाँ