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बुधवार, 18 अक्टूबर 2017

दीपावली। ...... खुशियों का त्यौहार ......" नीतू ठाकुर "




सुख शांति का वास रहे और वृद्धि हो खुशहाली में, जो चाहो वो सब मिल जाये अबके बरस दिवाली में, यदि मिट्टी के कुछ दीपक हम अबके बरस जलायेंगे, तो किसी गरीब की कुटिया में खुशियों के फूल खिलाएंगे, अथक परिश्रम करते है जो ठंडी,गर्मी,पानी में, कहीं ना टूटे उनके सपने हम सब की नादानी में, कितने सपने,कितनी आशा एक दीपक में बस जाती है, उम्मीद का सूरज उगता है जब भी दिवाली आती है, धन दौलत है पास तुम्हारे,उनकी झोली खली है, भूल ना जाना भाई मेरे उनके घर भी दिवाली है, पकवानों की चाह नहीं पर पूड़ी तो हो थाली में, अपना भी सहयोग हो शामिल उन सब की खुशहाली में, - नीतू ठाकुर

4 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह्ह...बहुत सुंदर भाव के दीप जले है नीतू जी आपकी सुंदर रचना में।
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।सस्नेह।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (19-10-2017) को
    "मधुर वाणी बनाएँ हम" (चर्चा अंक 2762)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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