सुख शांति का वास रहे और वृद्धि हो खुशहाली में,
जो चाहो वो सब मिल जाये अबके बरस दिवाली में,
यदि मिट्टी के कुछ दीपक हम अबके बरस जलायेंगे,
तो किसी गरीब की कुटिया में खुशियों के फूल खिलाएंगे,
अथक परिश्रम करते है जो ठंडी,गर्मी,पानी में,
कहीं ना टूटे उनके सपने हम सब की नादानी में,
कितने सपने,कितनी आशा एक दीपक में बस जाती है,
उम्मीद का सूरज उगता है जब भी दिवाली आती है,
धन दौलत है पास तुम्हारे,उनकी झोली खली है,
भूल ना जाना भाई मेरे उनके घर भी दिवाली है,
पकवानों की चाह नहीं पर पूड़ी तो हो थाली में,
अपना भी सहयोग हो शामिल उन सब की खुशहाली में,
- नीतू ठाकुर
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14...बेताल पच्चीसी....चोर क्यों रोया
चोर क्यों रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?” अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक सा...
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1903-1981 तुम अपनी हो, जग अपना है किसका किस पर अधिकार प्रिये फिर दुविधा का क्या काम यहाँ इस पार या कि उस पार प्रिये । ...
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कहीं तेज़ तर्रार ज़िंदगी। कहीं फूल का हार ज़िंदगी॥ कहीं बर्फ़ -सी ठंडक रखे। कहीं सुर्ख़ अंगार ज़िंदगी॥ कहीं माथे क...
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वाह्ह्ह...बहुत सुंदर भाव के दीप जले है नीतू जी आपकी सुंदर रचना में।
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।सस्नेह।
bahot bahot abhar
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (19-10-2017) को
जवाब देंहटाएं"मधुर वाणी बनाएँ हम" (चर्चा अंक 2762)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
.बहुत सुंदर भाव
जवाब देंहटाएं