खबर ओढ़ कर सो गई
नई खबर चुपचाप
कल रात फुटपाथ पर
पैदा हुई नई खबर शीत काल !
सिकुड़ कर अखबार के
एक कॉलम को भर गई
पुराने अखबार में रात
एक ज़िंदगी लिपट गई !
भूख की भागम भागी
और बाप की जिम्मेदारी
सब को निजात मिल गई
फुटपाथ खाली कर गई !
आज की ताजा खबर
रात एक और मौत
ठिठुरती रात निगल गई
अखबार का कॉलम भर गई ! !
डॉ. इन्दिरा गुप्ता ✍
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआप की रचना को शुक्रवार 15 दिसम्बर 2017 को लिंक की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सटीक
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक ।
जवाब देंहटाएंसही हाथों में सही विषय
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ूबसूरती से प्रस्तुत की आप ने यह रचना
निशब्द कर गई।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-12-2017) को "सब कुछ अभी ही लिख देगा क्या" (चर्चा अंक-2819) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रभावी तरीक़े और नये अन्दाज़ में गहरी बात ... कड़वा सच लिख दिया है ... लाजवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में जो परिस्थितियां देखने को मिल रही हैं..उन पर गहरी चोट करती हुई आपकी रचना वाकई कई सवाल छोड़े जा रही है। मार्मिक अंदाज में ठंडी रातों का भयानक सच बंया कर गई आपकी रचना ...!
जवाब देंहटाएं@आज की ताजा खबर, रात एक और मौत........! एक व्यवसायी के लड़के की शादी का एक कार्ड डेढ़ लाख का ! एक और खबर !!
जवाब देंहटाएंयथार्थ बोलती रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंnice line, Best hindi Book Publisher India
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