तुम नहीं होती तो
अलसाया रहता है
खिड़की का पर्दा
सोया रहता है देर तक
सूरज से नजरें चुराता...,
तुम नहीं होती हो तो
उदास रहता है
चाय का कप
अपने साथी की याद में....
साथ वाली कुर्सी भी
अपने खालीपन में
बैचेनी से
पहलू बदलती रहती है.....
रात में तकिया
बहुत याद करता है
तुम्हारी बेतरतीब
उनींदी बिखरी लटों
और निश्चिंत साँसों की
उष्मीय आत्मीयता को....
तुम नहीं होती तो
क्या कहूँ
मेरा हाल भी कुछ
पर्दे, कप, कुर्सी
और रात में
तकिये जैसा ही होता है....
-डॉ. विनीता राहुरिकर
अलसाया रहता है
खिड़की का पर्दा
सोया रहता है देर तक
सूरज से नजरें चुराता...,
तुम नहीं होती हो तो
उदास रहता है
चाय का कप
अपने साथी की याद में....
साथ वाली कुर्सी भी
अपने खालीपन में
बैचेनी से
पहलू बदलती रहती है.....
रात में तकिया
बहुत याद करता है
तुम्हारी बेतरतीब
उनींदी बिखरी लटों
और निश्चिंत साँसों की
उष्मीय आत्मीयता को....
तुम नहीं होती तो
क्या कहूँ
मेरा हाल भी कुछ
पर्दे, कप, कुर्सी
और रात में
तकिये जैसा ही होता है....
-डॉ. विनीता राहुरिकर
सुन्दर।
जवाब देंहटाएंवही एक होता है जो जीवन को सार्थकता की ओर जाता है, बिन राह का मुसाफिर और बिन साथ का जीवन एक समान है। बिना कुछ लिखे आपने सब लिख दिया है।
जवाब देंहटाएंMarvellous Expression of Emotions....
मधुर यादों का सुन्दर मानवीकरण
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna
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