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गुरुवार, 5 अक्टूबर 2017

बरसी चाँदनी........श्वेता सिन्हा



रिमझिम-रिमझिम बरसी चाँदनी,
तन-मन,रून-झुन, बजे रागिनी।
नील नभ पटल श्वेत नीलोफर,
किरण जड़ित है शारद हासिनी।

परिमल श्यामल कुंतल बादल,
मध्य विहसे मृदु केसरी चंदा।
रजत तड़ाग से झरते मोती, 
पी लो नयन भर मदिर रस चंदा।

जमना तट कंदब के झुरमुट,
नेह बरसे मधु अंजुरी भर भर।
सुधबुध बिसराये केशव-राधा,
खेले रास मनमोहन लीलाधर।

बोझिल नयन नभ जग स्वप्निल,
एकटुक ताके निमग्न हो चातक।
चूमे सरित,तड़ाग,झील नीर लब,
ओस बन अटके पुष्प अधर तक।

चाँदी थाल क्षीर भरी दृग मोहित,
दमदम दमके नभ करतल में।
पूर्ण हो हर कामना हिय इच्छित, 
अमृत सुधा बरसे धरा आँचल में।

    #श्वेता🍁

13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (06-010-2017) को
    "भक्तों के अधिकार में" (चर्चा अंक 2749)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. परिमल श्यामल कुंतल बादल,
    मध्य विहसे मृदु केसरी चंदा।
    रजत तड़ाग से झरते मोती,
    पी लो नयन भर मदिर रस चंदा।

    चाःद की छटा का अलौकिक वर्णन। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. Wahhhhh आनंद आया इस रचना मे। एक बात एक पंक्ति एक छंद का ज़िक्र ही नही किया जा सकता। सुघड़ सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  4. लालित्यपूर्ण भाषासौंदर्य का रस छलक रहा है हर पंक्ति से! हार्दिक बधाई श्वेता जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय श्वेता जी -- शरद चाँद रात का इससे सुंदर वर्णन नहीं हो सकता | सुकोमल शब्द और मनमोहक छटा बिखेरती सुंदर रचना | आपको बहुत बधाई और शुभकामना |

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  6. शरद पूर्णिमा सी ही मनभावन रचना......
    वाह!!!!

    जवाब देंहटाएं
  7. शरद पूर्णिमा का मनोहारी चित्र उकेरा है। प्रकृति का नेह बरस पड़ा है रचना में। रचना का शीर्षक "शरद पूर्णिमा " ज़्यादा उपयुक्त हो सकता था ताकि इस शीर्षक से खोजी जाने वाली रचनाओं में इसका भी शुमार हो। बहुत-बहुत बधाई मन प्रफुल्लित करती ,प्रकृति का यशगान करती मनोरम रचना के लिए। शुभकामनाऐं।

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