रो रहा आसमाँ ये जमीं देखकर,
उसकी आँखों में बसती नमी देखकर,
उसकी आँखों में बसती नमी देखकर,
इस कदर तेरे टुकडे किये क्या कहूं,
शर्म आती है ये आदमी देखकर,
शर्म आती है ये आदमी देखकर,
लूट कर तेरी कीमत लगाते है जो,
खुद को दुनिया का मालिक बताते है जो,
खुद को दुनिया का मालिक बताते है जो,
खुद को इन्सान कहते है ये मतलबी,
उनमे इंसानियत की कमी देखकर,
उनमे इंसानियत की कमी देखकर,
रो रहा आसमाँ ये जमीं देखकर,
उसकी आँखों में बसती नमी देखकर,
उसकी आँखों में बसती नमी देखकर,
इस कदर तेरे टुकडे किये क्या कहूं,
शर्म आती है ये आदमी देखकर,
शर्म आती है ये आदमी देखकर,
जिनको आंचल में तुमने छुपाया कभी,
भूखे तन को निवाला खिलाया कभी,
भूखे तन को निवाला खिलाया कभी,
आज आरी से काटे वो दामन तेरा,
जिनको सीने से तुमने लगाया कभी,
जिनको सीने से तुमने लगाया कभी,
रो रहा आसमाँ ये जमीं देखकर,
उसकी आँखों में बसती नमी देखकर,
उसकी आँखों में बसती नमी देखकर,
इस कदर तेरे टुकडे किये क्या कहूं,
शर्म आती है ये आदमी देखकर,
शर्म आती है ये आदमी देखकर,
हर मुसीबत से जिनको बचाती है वो,
जिनके बारूद सीने पे खाती है वो,
जिनके बारूद सीने पे खाती है वो,
रक्त से भर रहे है वो गोदी तेरी,
उनके गैरत की यूँ बेबसी देखकर,
उनके गैरत की यूँ बेबसी देखकर,
रो रहा आसमाँ ये जमीं देखकर,
उसकी आँखों में बसती नमी देखकर,
उसकी आँखों में बसती नमी देखकर,
इस कदर तेरे टुकडे किये क्या कहूं,
शर्म आती है ये आदमी देखकर,
शर्म आती है ये आदमी देखकर,
कर्मयोगी,पतितपावनी ये धरा,
जिसके मन में दया,प्रेम,करुणा भरा,
जिसके मन में दया,प्रेम,करुणा भरा,
सुशोभित ,सुसज्जित थी वो,
आज अपनी ही नजरों में लज्जित थी वो,
आज अपनी ही नजरों में लज्जित थी वो,
रो रहा आसमाँ ये जमीं देखकर,
उसकी आँखों में बसती नमी देखकर,
उसकी आँखों में बसती नमी देखकर,
इस कदर तेरे टुकडे किये क्या कहूं,
शर्म आती है ये आदमी देखकर,
शर्म आती है ये आदमी देखकर,
- नीतू रजनीश ठाकुर
वाह्ह्ह...कमाल बहुत सुंदर लिखा नीतू जी।हृदयस्पर्शी भाव और सुंदर शब्द-विन्यास से रची आपकी रचना बहुत अच्छी लगी।मेरी बधाई स्वीकार करें।
जवाब देंहटाएंआप का बहोत बहोत आभार, आप की प्रतिक्रिया हमारा उत्साह बढाती है. जब जानकर प्रतिक्रिया देते है वो बात ही निराली है.
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-10-2017) को
जवाब देंहटाएं"सुनामी मतलब सुंदर नाम वाली" (चर्चा अंक 2772)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आप का बहोत बहोत आभार मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए ,
जवाब देंहटाएंसार्थक और सटीक रचना
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मुक्तक।
संवेदना को जगाये रखना ही रचनाधर्मिता का उद्देश्य है।
लिखते रहिये।
बधाई एवं शुभकामनाऐं।