है अयाँ दिल का हाल आँखों में..
पढ़ के देखो सवाल आँखों में ;
पूछते कम से कम तो ये इक बार..
क्यूँ ये डोरे हैं लाल आँखों में ;
जिन से बेचैनियाँ रहें दिन भर...
ख़्वाब ऐसे न पाल आँखों में ;
इन में रहती है तेरी परछाईं...
धूल तू तो न डाल आँखों में ;
वक्ते रुख़सत तो देखते मुड़ के...
बस यही है मलाल आँखों में ;
अब तो घर लौट कर चले आओ...
आ न जाए उबाल आँखों में ;
उम्र भर की न हो पशेमानी...
प्यार कर लो बहाल आँखों में ;
राज़े दिल खोलती हैं ये ‘तरुणा’...
है ये कैसा कमाल आँखों में...!!
बहुत खूबसूरत रचना....वाह्ह्ह👌👌
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब !
पुरकशिश अल्फ़ाज़ दिल को छू रहे हैं। ऐसी ग़ज़ल पर पढ़ने-सुनने वाले रसिकजन झूम उठाते हैं। बहुत सुंदर प्रस्तुति।
वाह !!!
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर रचना खूबसूरत अंदाज
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