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गुरुवार, 26 अक्टूबर 2017

आँखों में.......तरुणा मिश्रा

है अयाँ दिल का हाल आँखों में..
पढ़ के देखो सवाल आँखों में ;

पूछते कम से कम तो ये इक बार..
क्यूँ ये डोरे हैं लाल आँखों में ;

जिन से बेचैनियाँ रहें दिन भर...
ख़्वाब ऐसे न पाल आँखों में ;

इन में रहती है तेरी परछाईं...
धूल तू तो न डाल आँखों में ;

वक्ते रुख़सत तो देखते मुड़ के...
बस यही है मलाल आँखों में ;

अब तो घर लौट कर चले आओ...
आ न जाए उबाल आँखों में ;

उम्र भर की न हो पशेमानी...
प्यार कर लो बहाल आँखों में ;

राज़े दिल खोलती हैं ये ‘तरुणा’...
है ये कैसा कमाल आँखों में...!!


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