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शनिवार, 21 अक्टूबर 2017

बरसात में बरसेगी शराब...सुदर्शन फाक़िर

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कुछ तो दुनिया की इनायात ने दिल तोड़ दिया
और कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया

हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया

दिल तो रोता रहे ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रिवायात ने दिल तोड़ दिया

वो मिरे हैं मुझे मिल जाएँगे आ जाएँगे
ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया

आप को प्यार है मुझ से कि नहीं है मुझ से
जाने क्यूँ ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया

- सुदर्शन फाक़िर

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-10-2017) को
    "एक दिया लड़ता रहा" (चर्चा अंक 2765)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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