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शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2017

मै तो तरसी हूँ दो गज जमीं के लिए....नीतू ठाकुर


ना हंसी के लिए ना ख़ुशी के लिए,
मै तो तरसी हूँ दो गज जमीं के लिए....  

आज आँखों से बरसे जो आंसू तेरे,
दर्द दुनिया में सब को दिखाने लगे,
दर्द की इन्तेहाँ तुमने देखी कहाँ,
जो अभी से सभी को सुनाने लगे, 

 ना हंसी के लिए ना ख़ुशी के लिए,
मै तो तरसी हूँ दो गज जमीं के लिए....

तुम  जफायें करो हम वफायें करे,
जेब देता नहीं है सनम प्यार में,
उम्र भर राह हम तेरी तकते रहे,
जान लेलोगे तुम प्यार ही प्यार में,

ना हंसी के लिए ना ख़ुशी के लिए,
मै तो तरसी हूँ दो गज जमीं के लिए....

हमने तुमको भुलाने की कोशिश जो की,
नींद अपनी सनम क्यों उड़ाने लगे,
भूल जाते हो अपनी खताओं को क्यों,
जो खतायें हमारी गिनाने लगे,

ना हंसी के लिए ना ख़ुशी के लिए,
मै तो तरसी हूँ दो गज जमीं के लिए....

चैन लूटा मेरा, ख्वाब लुटे मेरे,
लूट कर हमसे नजरे चुराने लगे,
हमने नजरे हटाई जो तुमसे सनम,
बेवफाई की तोहमत लगाने लगे, 

ना हंसी के लिए ना ख़ुशी के लिए,
मै तो तरसी हूँ दो गज जमीं के लिए....

16 टिप्‍पणियां:

  1. आज आँखों से बरसे जो आंसू तेरे,
    दर्द दुनिया में सब को दिखाने लगे,
    दर्द की इन्तेहाँ तुमने देखी कहाँ,
    जो अभी से सभी को सुनाने लगे..

    बहुत बहुत शानदार। बहुत दिलकश नीतू जी। wahhhh

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (21-10-2017) को
    "भाईदूज के अवसर पर" (चर्चा अंक 2764)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. वाह्ह्ह....लाज़वाब,बेहद शानदार रचना आपकी नीतू जी।
    👌👌

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 22 अक्टूबर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह ! ,बेजोड़ पंक्तियाँ ,सुन्दर अभिव्यक्ति ,आभार।

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  6. प्रेम ओर विरह की सच्ची अनुभूति
    बहुत सुंदर रचना
    बधाई

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