हद से ज्यादा भी प्यार मत करना
दिल हर एक पे निसार मत करना
क्या खबर किस जगह पे रुक जाये
सास का एतबार मत करना
आईने की नज़र न लग जाये
इस तरह से श्रृंगार मत करना
तीर तेरी तरफ ही आएगा
तू हवा में शिकार मत करना
डूब जाने का जिसमे खतरा है
ऐसे दरिया को पार मत करना
देख तौबा का दर खुला है अभी
कल का तू इंतज़ार मत करना
मुझको खंज़र ने ये कहाँ है एजाज़
तू अँधेरे में वार मत करना -
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (01-010-2017) को
जवाब देंहटाएं"जन-जन के राम" (चर्चा अंक 2744)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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विजयादशमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह !
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।